बिशन की दिलेरी

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Transcript बिशन की दिलेरी

बिशन की दिलेरी
प्रस्तुतकतता _
रतधेश्यतम
गप्ु तत
ममट्टी, पतनी, हवत, निी, ततल-तलैयत, समद्र
ु , पहतड़,
पेड़-पौधे, जंगल, जंगल में रहने वतले पशु-पक्षी,
गताँवों व शहरों में रहने वतले लोग-जन-यह सि
कुछ पयतावरण जैसे शब्ि में आ जततत है ।
हम इस िहुत ही िड़े चतरों तरफ़
फ़ैले पयतावरण कत एक बिलकुल छोटत-सत भतग
भर हैं। पर छोतत सत दहस्सत होते हुए भी हमने
इस पयतावरण को बिगतड़नत शुरु कर दियत है ।
पेड़-पौधों को अन्धतधंध
ु कतटनत, जंगली-जतनवरों
कत मशकतर करनत, प्रिष
ू ण को िढ़तवत िे नत हमतरी
दिन-प्रततदिन की क्रियत िन चुकी है ।
हमतरत पयतावरण बिगड़ेगत तो हम सि पर भी
इसकत िरु त असर होगत। हमें जंगलों और
उसमें रहने वतले जंगली जीवों को हर हतलत
में िचतनत है तथत उसमें िढ़ोत्तरी करनी
है ।यह पतठ हमतरे पयतावरण को समझने की
एक शरु
ु आत है । क्रकसी भी पक्षी को मतरने
से ज्यतित िहतिरु ी तो उसे िचतने में है ।
बिशन की दिलेरी इसी ितत कत उितहरण है ।
भतषत की ितत- सवानतम
“तीतर स्वेटर में फाँस गयत तो बिशन ने उसे पकड़
मलयत और अपने सीने से चचपकत मलयत।” ऊपर
मलखे वतक्य में उसे शब्ि कत इस्तेमतल ‘तीतर’ के
मलये और ‘अपने’ बिशन के मलये क्रकयत गयत है ।
एक ही संज्ञत कत ितर-ितर प्रयोग करने की िजतय
उसकी जगह पर जजन शब्िों कत प्रयोग क्रकयत
जततत है उन शब्िों को सवानतम कहते हैं। नीचे
मलखे वतक्यों में सवानतम कत ठीक रूप छताँटकर
मलखो-
क) मतस्टर सतहि ने अप्पतरतव को--------पतस
िल
ु तकर कहत,--------कल--------घर आनत।(मैं,
अपनत, तुम)
ख) सेंटीलत--------घर नतगतलैंड के क्रकस शहर में
है ?(तुम)
ग) सध
से पछ
ु त ने -------िआ
ु
ू त, पतपत-------क्रकतने
िड़े हैं?(आप)
घ) मोहन को समझ में नहीं आ रहत क्रक-------क्यत
करनत चतदहए?(वह)
ङ) ववमल ने------अफसर को यति दिलतयत की------चतर िजे िैठक में जतनत है ।(आप, वह)
गह
ृ कतया:
तीतर कत चचत्र िनत कर उसमें रं ग भरो। तीतर के
ितरे में जतनकतरी इकट्ठत करो और उसपर 50
शब्िों कत एक अनच्
ु छे ि मलखोउत्तर-