पटकथा-लेखन-प्रविधि - e-CTLT

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अभिव्यक्ति और माध्यम
पटकथा-लेखन
कक्षा-XII
१. पटकथा का अभिप्राय
२. पटकथा-लेखन प्रक्रिया का पररचय
३. पटकथा-लेखन के भलए प्रेररि करना
श्यामपट्ट, चाक, डस्टर, पावर पाइंट प्रस्िुति हे िु
उपकरण
तया किी आपने क्रिल्मों से क्रकसी िी रूप में जुडने के ववषय में
ववचार क्रकया है ?
जी हां, नायक, खलनायक, संगीिकार, गायक , पटकथा-लेखक
के रूप में …
हम आज पटकथा-लेखन की प्रववधि का पररचय प्राप्ि
करें गे।
क्रिल्म तनमााण के भलए सबसे पहले ज़रूरि पड़िी है , एक
उधचि कहानी की। यदि मौभलक कहानी चादहए िो वह नएतनराले आइडडया/सब्जेतट पर होनी चादहए। यही कहानी का
सूक्ष्मिम रूप है ।अगर यह आपके पास है िो समझ लीक्जए
क्रक क्रिल्म तनमााण की शरु
ु आि हो गई।
वह कथा जो पट , धचत्रपट, टे लीववज़न, क्रिल्मांकन के भलए
भलखी जाए।
कहानी को मात्र िो-िीन पेज में भलखा जािा है , िीन अंक
और कम से कम िो प्लाट-पाइंट स्पष्ट होने चादहए।
कथानक-बबन्ि…
ु
..जब कहानी में मोड़ आिा है …..
विामान काल में भलखा जािा है । प्रत्येक काल्पतनक/प्रस्िाववि
दृश्य की ववषय-वस्िु एक छोटे से अनुच्छे ि या िो-चार पंक्तियों
में भलखी जािी है ।
स्टे प आउटलाइन
क्जिने दृश्य होिे हैं, उिने ही स्टे प भलखे जािे हैं। कई
बार िो-िीन दृश्यों को भमला कर एक स्टे प भलख दिया
जािा है ।
यशोिर िफ़्िर में अपना काम समेट रहा है । चढ्ढा
आकर समय की िरि उसका ध्यान आकृष्ट
करिा है । यशोिर घड़ी िे खिा है और उसे
पच्चीस साल पहले ससुराल से भमली बिािा है ।
िफ़्िर में पाटी का माहौल। चढ्ढा, मेनन आदि चायसमोसों का लुत्ि उठा रहे हैं। उनकी बािों से पिा
चलिा है क्रक आज यशोिर की शािी की पच्चीसवीं
वषागांठ है और उसने इस पाटी का व्यय उठाया है ।
इन्डोर/दिन
यशोिर िफ़्िर के अपने केबबन में काम कर रहा है । चढ्ढा का प्रवेश।
चढ्ढा-बाऊजी…
यशोिर की नज़र पहले चढ्ढा पर क्रिरअपनी कलाई घड़ी पर पड़िी है और
मस्
ु करािा है ।
चढ्ढा- पुरानी घड़ी िे ख के मस्
ु करा रहे हो…नई तयों नहीं ले लेिे बाऊजी,
अब िो बेटे िी खब
ू कमाने लगे हैं…
यशोिर-पच्चीस साल से चल रही है और आज ही…
इन्डोर/दिन
यशोिर, चढ्ढा, मेनन आदि चाय-समोसों क लुत्ि उठा रहे हैं।
मेनन-बाऊजी, ये िो भसल्वर वैडडंग की िावि है , गोल्डेन की कब होगी..
चढ्ढा- ओए, पचास साल पांच भमन्ट में नईं हो जािे, पचास साल लगिे हैं..
यशोिर- और बीवी अपने मुिाबबक हो िो पांच साल में पचास साल बीि
जािे हैं वरना हर दिन पच्चीस साल का होिा है …
चढ्ढा-बाऊजी, िािी जी हैं िो यहीं या गईं गढ़वाल..
यशोिर- यहीं हैं िई, गढ़्वाल न िो बच्चों को अच्छा लगिा है न िम्
ु हारी
िािी को…पर िम
ु को िो िावि से मिलब है …
चढ्ढा-अब दिल िोड़ने वाली बाि मि करो बाऊजी…
एक क्रिल्म में बीस पच्चीस से लेकर सौ-सवा सौ िक दृश्य हो
सकिे हैं
इसमें पात्र-पररचय, चररत्र धचत्रण, िववष्य की या िस
ू रे
अंक की घटनाओं /ववषय-वस्िु का संकेि दिया जािा
है और पहले प्लाट-पाइंट के साथ ही अंक समाप्ि होिा
है । इसे कम से कम समय या दृश्यों में समेटना चादहए।
इसमें कहानी की मुख्य घटनाएं, संघषा और कथा का ववकास
होिा है िथा िशाक की क्जज्ञासा चरमोत्कषा पर पहुंचिी है ।अंि
में िस
ू रा प्लाट-पाइंट आिा है ।
कहानी समािान की ओर बढ़िी है । इसे िी कम से कम
दृश्यों और समय में समेटा जािा है ।
पटकथा से तया अभिप्राय है ?
पटकथा लेखन के ववभिन्न चरण कौन-कौन से हैं ?
पटकथा के अंकों िथा कथानक-बबन्ि ु (प्लाट-प्वाइंट)में तया
संबंि है ?
पटकथा की सबसे छोटी इकाई क्रकसे कहा जा सकिा है ?
ववशेष अध्ययन के भलए
मनोहर श्याम जोशी की रचना
पटकथा-लेखन
का अध्ययन करें
प्यारे लाल
स्नािकोत्िर भशक्षक-दहन्िी
केन्रीय ववद्यालय, भसंगरौली