पाठ योजना कक्षा दशम ् विषय-संस्कृतम ् उप विषय - सहायक सामग्री – सामान्योद्देश्या: अिधि:- 35 ममनट सािि ु तृ तंसमाचरे त ् सि ु ाखण्डं .
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Transcript पाठ योजना कक्षा दशम ् विषय-संस्कृतम ् उप विषय - सहायक सामग्री – सामान्योद्देश्या: अिधि:- 35 ममनट सािि ु तृ तंसमाचरे त ् सि ु ाखण्डं .
पाठ योजना कक्षा दशम ्
विषय-संस्कृतम ्
उप विषय -
सहायक सामग्री –
सामान्योद्देश्या:
अिधि:- 35 ममनट
सािि
ु तृ तंसमाचरे त ्
सि
ु ाखण्डं . मित्ततधचत्रं दृश्य
श्रव्य सािनम ् च.
१. छात्रों को िािी जीिन मे संमार्ग पर चलने हे तु तययार करना |
२. अच्छे एिम ् बुरे तथा िमग एिम ् अिमग का अिबोिन कराना |
३. क्रोि ् क्या हय ? िययग क्या हय ? इससे अिर्त कराना |
विशशष्टोद्देश्या:1. विद्याधथगयों को िािी जीिन में अच्छे आचरण (सािू ित्ृ तत) एिं
ईमानदारी से कायग करने की आदत डालने हे तु तययार करना |
2. जीिन के प्रतयेक क्षेत्र में िययग से काम करना|
3. िमं विद्या एिं िनादद का संग्रह शनय:-2 होता हय इस हे तु
विद्याधथगयों को आरं ि से ही तययार करना |
4. “दारािीना: क्रक्रया सिाग: स्िर्गस्य सािनम ्” इस उत्क्त के माध्यम
से मात ृ शत्क्त का उपदे श “स्िर्ग सािनमवप अत्स्त” इसका
विमशष्टोदे श्य विशद रूप से विद्याधथगयों को बताना. पाठान्तर्गत
“आपदाम ् तरणण: िययम
ग ्” इस उत्क्त का िी विमशष्टोदे श्य बताना |
प्रेरणा:1. विद्याधथगयों को महापरु
ु षों के जीिन चररत्र
आदशों एिं चररत्र का विशद् िणगन करके
बच्चों को सन्मार्ग के प्रतत प्रेररत करना |
2. जीिन में सच्चररत्र, ईमानदारी, पुण्यादद
कायों के प्रतत अमिप्रेररत करना |
3. काम, क्रोि, लोि, मद मोहादद शत्रओ
ु ं का
तयार् करिाकर सतय, ज्ञान, शात्न्त,
वििेक, सस्
ु मतृ त, पुण्य परोपकरादद के
प्रतत प्रेररत करना|
विषय प्रस्तुतीकरण
बालकों ! आज हम
उपयक्
ज्ञान
ुग त
परीक्षण सम्बंधित
“ सािु ित्ृ ततम ्
समाचरे त ्”
इस
पाठ में सािु ितृ त
का जीिन में कयसे
आचरण
करना
चादहये !
आज
हम इस पाठ में
पढ़े र्े .
पि
व ान परीक्षण
ू ज्ञ
1. विद्याधथगयों ! क्या आप ने दीर्ग
सूत्री एिं लोि-विषयक कोई
कहानी पढी हय ?
2. जीिन में लोिी व्यत्क्त सख
ु ी
रहता हय या शान्तातमा?
3. हमारे िारत में परोपकारी परु
ु ष
कौन -2 हुए हैं?
4. िारत में शांतत और अदहंसा की
प्रमुख वििूततयों के नाम
बताओ ?
साधुितृ ्तिं समाचरे त ्
अत्स्त कमग पुर नात्म्न नर्रे प्रच्छन्न- नाम िेय: कत्श्चत ् कुमारः| बाल्ये ियमस
विद्या प्रांर् मुख: स केनधचत ् दष्ु टबुत्ध्दनाम्ना चौरे ण सह चौयगकमगणण तनरत:
सञ्जात| एकदा स दष्ु ट-बुविना सािगम ् कस्यधचत ् श्रेत्ष्ठन:र्ेहे िनहरणाथं
ग्रामाथं प्रत्स्थत:|
अथ व्रजन्तौ तौ र्तगसंकुले मार्े क्रीडतःकांत्श्चत ् बालकान ् प्रेक्ष्य अिदताम ्-िो िो
बालकाः!कथमत्र नतोन्नते विषमे मार्े क्रीडथ ?
यदद कत्श्चत ् र्ते पतेत ् तदहग स विकलाङ्र्ोितू िा धचरं क्लेशम ्अनि
ु िेत ् | तच्रतु िा
तेषु कत्श्चत ्;उद्दण्ड:बालक:उिाच –अतय िो !यदद एिं तदहग कथं ििन्तौ सप
ु थं
पररतयज्य अनेन कुपथेन र्न्तंु प्रितृ तौ ?अवप इदम ् श्रेयस्करम ्?
अनेन िचसा प्रततहतान्त: करण: प्रच्छन्निाग्य: अधचन्तयत ्-क्रकम ् इदं िचनं
विशेषेण माम ् एि लक्ष्यीकरोतत? अहो! कुमार्ंम ् आधश्रतस्य मम कीदृशी इयं
क्लेश परम्परा| र्ुरूपदे शेन इि अनेन बालिचसा मम चक्षुषी समुन्मीमलते|
अद्यप्रितृ त पापपथं तयजामम इतत विधचन्तय ममत्रं दष्ु टबुविम ् अिदत ् ‘ सखे!
यदद मां ममत्रस्थाने पररर्णयमस, तदहग सािुजनर्दहगतम ् इमं पन्थानं तयजतु
ििान ्|
व्याख्या
कमगपुर नामक नर्र मे प्रच्छन्न िाग्य नाम का एक बालक रहता था| बचपन
मे िह मशक्षा से विमुख होकर एक दष्ु ट बुवि नामक चोर के साथ ् चोरी के
काम मे लर् र्या| एक ददन िह दष्ु ट बुवि के साथ ् क्रकसी सेठ के र्र में िन
चुराने दस
ु रे र्ााँि चल पड़ा|
क्रिर दोनों के चलते हुए रास्ते में कुछ बालकों को खेलते हुए दे ख कर बोलेअरे बालकों! तम
ु इस उबड़ खाबड़ तथा कदठन रास्ते पर क्यों खेल रहे हो ?
यदद कोई र्ड्ढे में धर्रे तो िह अंर्हीन होकर जीिन िर दःु ख का अनि
ु ि
करे र्ा| िह सन
ु कर उनमे से एक शरारती बालक बोला- अरे ! यदद ऐसी बात हय
तो आप दोनों सर्
ग रास्ते से क्यों जा रहे हो|
ु म रास्ते को छोड़कर इस दर्
ु म
क्या यह कल्याणकारी हय ?
इस बालक के कथन से प्रच्छन्न िाग्य का हृदय आहत हुआ और सोचने
लर्ा- क्या इस बालक का कथन विशेष रूप से मुझे ही लक्ष्य बना रहा हय ?
हाय ! इस बुरे रास्ते को आिार बनाकर मुझे यह दख
ु ी जीिन प्राप्त हुआ हय |
इस बालक के कथन र्ुरु के उपदे श के समान हय त्जसने मेरी दोनों आाँखें खोल
दी हय | आज के बाद में इस चोरी करने के मार्े को छोड़ दे ता हूाँ यह सोचकर
उसने अपने ममत्र दष्ु ट बुवि को कहा- ‘हे ममत्र! यदद आप मुझे अपना ममत्र
समझते हो, तो सज्जनों द्िारा तनत्न्दत इस कुमार्ग को आप छोड़ दें |
समह
ू विभाजनम ्
व्यास िर्ग:-
1 िारतीय संस्कृतौ जीिनं कतत िार्े: वििक्तम ्?
2. प्रच्छन्न िाग्य: कदा विद्या परांर्मख
ु अिित ् ?
3. जीिने केषां दख
ु ं
िितत ?
4. सुखं जीिने केषां िितत ?
काशिदास िर्व: 1. प्रच्छन्न िाग्य: कुत्र अिसत ् ?
2. िनहरणाथगम ् प्रच्छन्न िाग्य: केन सह: कुत्र अर्छत ् ?
3. दष्ु ट बुवि: कलशं कस्य र्ह
ृ े अपातयत ् ?
4. सपेंण क्रकम ् कृतम ् ?
िाल्मीकक िर्व:
अिोमलणखतेषु यत ् कथनं शि
ु म ् तत ् (√) प्रतीकेन अशि
ु म्
च (x ) प्रतीकेन अंकयत
1. बालका: राजपथे क्रीडत्न्त स्म . ( x )
2. प्रच्छन्न िाग्य: िमगपुर नात्म्न ग्रामे अिसत ् ( x )
3. प्रच्छन्न िाग्यस्य पतनी अिदत ् .......अलं धचन्तया
“आपदां तरणण: िययम
ग ् (√)
4. दष्ु टबवु ि अधचन्तयत ् “ अनेन बालिचसा मम चक्षुषी
समन्
(√)
ु मीमलते
भास िर्व:
अिोमलणखत शब्दानां सत्न्ि/संधिच्छे दम ् कुरुतक) ततरस्कृतय, ग्राम + अमिमख
ु म ् , कांत्श्चत ् ,
सद्िचनातन , श्रेय: + करम ् , सम ् + जात:
ख) प्रतययं दशगयत :- तच्ुतिा ,पररतयज्य,
अत्जगतिान ् ,दृष्ट:
र्) क्रक्रया कारकाणण दशगयतसः केनधचतदष्ु टबुविनाम्ना चौयेण सह चौयगकगमगणण
तनरतः संजातः|
मूल्यािंकनम ्
1 ‘सािुितृ तम ्’ इतत शब्दस्य अथं िदत ?
2 कस्य क्रन्दनं नान्तं र्च्छतत ?
3 कलशे क्रकं तनदहतं आसीत ् ?
4 विद्या कथं संचयात ् ?
सार-कथनम ्
र्द्यातमक: पाठोSयम ् . दज
ग संसर्े तनरतो
ु न
मानि: स्िकीयं कतगव्यं विस्मतृ य दख
ु मनुिितत.
परन्तु बाल िचनेन अमिप्रेररत: यदा सः
कुसङ्र्ततं दहतिा पररश्रमेण स्िकायं करोतत
तदा सः प्रच्छन िाग्यित ् सख
ु ं शात्न्तं िनं च
प्राप्नोतत|
र्ह
ृ -कायवम ्
मन्जष
ु ायां समधु चत पदानां चयनं कृतिा अिोदततानां त्रय: पयागया:
दीयताम ्
तनकेतनम ्
अथगः
चक्षुः
द्रविणम ्
विलोक्य
विततम ्
िज
ु र्:
अदहः
पररतयजय
लोचनम ्
अक्षक्ष:
सदनम ्
दहतिा
शिगरी
रात्रि:
धनम ्
सपवः
दृष््िा
नेिम ्
्यक्त्िा
र्ह
ृ म्
विषिरः
तनशा
िीक्ष्य
1
2
3
4
5
6
7
प्रेक्ष्य
रजनी
र्ेहम ्
शिगरी
-------------------------------
विहाय
तनशा
-------------------------------
रजनी
-------------------------------
स्मरणस्तर:-
प्रश्नकोश:
1
2
3
4
प्रच्छन्निाग्य: कुत्रअिसत ्?
तस्यपतनी कीदृशी आसीत ्?
सः कस्य प्रेरणया पापमार्ं तयक्तिान ् ?
दष्ु टबुवि: कलशे कम ् अपश्यत ् ?
1
2
3
4
प्रच्छन्निाग्य क्रकमथं कुदटलमार्े अपतत ्?
सः बालिचसा क्रकम ् अधचन्न्तयत ्?
प्रच्छन्निाग्य विषादं विहाय क्रकम ् अकरोत ् ?
िनस्य सञ्चयं कथं िितत?
अिबोिन स्तर:-
अनुप्रयोर् स्तर:-
1 सुिणगपूररत: कलशः कुत्र त्स्थतोSत्स्त?
2 सपगः कम ् दष्टिान ्?
3 कलशः कस्य िक्ष
ृ स्य मूले त्स्थत आसीत ् ?
4 आपदां तरणण: का अत्स्त?
विश्लेषण स्तर :-
क्रोधः
1 सािुित्ृ ततं समाचरे त ् इतत पाठः कुतः
संकमलत:?
2 केषां सिगदा द:ु खं िितत?
3 प्रच्छन्निाग्यस्य र्रु
ु ः क आसीत ्?
4 सख
ु ं प्राप्तंु क्रकं करणीयम ्?
मल्
ू याङ्कन स्तर :1
2
3
4
र्टः कथं पण
ू ःग िितत?
तनिगनो नरः कीदृशं कायं करोतत?
श्रमेण नरः कथं सञ्जातः?
क्रकं स्िप्नेदृष्टं कायगमवप सुलिम ्?
सज
ृ नातमक स्तर:-
स्यम ्
ज्ञानम ्
परोपकार:
कामः
जार्तृ त::
पण्
ु यम ्
1 जीिनपथे कतत िीधथका सत्न्त?
2 जीिन यात्रा पथे के अिरोिाः सत्न्त?
3 जीिनयात्रा पथे प्रशस्त मार्ग: कः |
4 प्रशस्तमार्ेण जीिनं कीदृशं िितत |
सुस्मतृ त:
शाततत :
वििेक:
“जयतु जयतु सरु भारतत”!