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मेरे यारे देशवािसयो,
पसठव गणततं िदवस क पवू सया
ं पर, म भारत और िवदेश म बसे आप सभी को हािदक
बधाई देता ह।%ं म हमारी सश&त सेनाओ,ं अध-सैिनक बल तथा आत-रक
सर.ा
ु बल के सद&य को
ं
अपनी िवशेष बधाई देता ह%।ं
2. हर एक भारतीय गणततं िदवस का स2मान करता है। च4सठ वष पवू इसी िदन, हम भारत
के लोग ने, आदश तथा साहस का शानदार पदशन करते हए6, सभी नाग-रक को 7याय, &वततं ता
तथा समानता पदान करने के िलए, &वयं को एक सपं भतासप7न
ु ं लोकताित
ं क गणरा8य स4पा था। हमने
सभी नाग-रक के बीच भाईचारा, 9यि: क ग-रमा तथा रा; क एकता को बढ़ावा देने का काय
अपने हाथ म िलया था। ये आदश आधिनक
ु भारतीय रा8य के पथ-पदशक बने। शाित
ं क ओर तथा
दशक के औपिनवेिशक शासन क गरीबी से िनकालकर पन=>थान
क िदशा म ले जाने के िलए
ु
लोकततं हमारा सबसे म@यवान
मागदशक बन गया। हमारे सिवधान
के 9यापक पावधान से भारत
ू
ं
एक सदर
ु य:
ु लोकततं के Aप म िवकिसत हो चका
ु है। हमारे
ंु , जीवतं तथा कभी-कभार शोरगल
िलए लोकततं कोई उपहार नहC है, बि@क हर एक नाग-रक का मौिलक अिधकार है; जो सEाधारी ह
उनके िलए लोकततं एक पिवत भरोसा है। जो इस भरोसे को तोड़ते ह वह रा; का अनादर करते ह।
3. भले ही कछ
ु िनराशावािदय Hारा लोकततं के िलए हमारी पितबIता का मखौल उड़ाया
जाता हो परतंु जनता ने कभी भी हमारे लोकततं से िवKासघात नहC िकया है; यिद कहC कोई खािमयां
नजर आती ह तो यह उनके कारनामे ह िज7हने सEा को लालच क पित
ू का माग बना िलया है। जब
हम देखते ह िक हमारी लोकताित
ु तथा अयोMयता Hारा कमजोर िकया जा
ं क स&थाओ
ं
ं को आ>मति;
रहा है, तब हम ग&सा
ु आता है, और यह &वाभािवक है। यिद हम कभी सड़क से हताशा के &वर
सनाई
ु देते ह तो इसका कारण है िक पिवत भरोसे को तोड़ा जा रहा है।
यारे देशवािसयो,
4. भ;ाचार ऐसा क सर है जो लोकततं को कमजोर करता है तथा हमारे रा8य क जड़ को
खोखला करता है। यिद भारत क जनता ग&से
ु म है, तो इसका कारण है िक उ7ह भ;ाचार तथा रा;ीय
ससाधन
क बबादी िदखाई दे रही है। यिद सरकार इन खािमय को दरू नहC करती तो मतदाता
ं
सरकार को हटा दग।े
5. इसी तरह, सावजिनक जीवन म पाखडं का बढ़ना भी खतरनाक है। चनाव
ु िकसी 9यि:
को भांितपणू अवधारणाओ ं को आजमाने क अनमित
ु नहC देते ह। जो लोग मतदाताओ ं का भरोसा
चाहते ह, उ7ह के वल वही वादा करना चािहए जो सभव
ं है। सरकार कोई परोपकारी िनकाय नहC है।
लोकलभावन
अराजकता, शासन का िवक@प नहC हो सकती। झठेू वायद क प-रणित मोहभगं म
ु
होती है, िजससे कोध भड़कता है तथा इस कोध का एक ही &वाभािवक िनशाना होता है : सEाधारी
वग।
6. यह कोध के वल तभी शातं होगा जब सरकार वह प-रणाम दगी िजनके िलए उ7ह चना
ु
गया था : अथात् सामािजक और आिथक पगित, और कछए
के
ु क चाल से नहC बि@क घड़दौड़
ु
घोड़े क गित से। मह>वाका.ी
ु उसके भिवSय से िवKासघात को .मा नहC कर ग।े जो
ं भारतीय यवा
लोग सEा म ह, उ7ह अपने और लोग के बीच भरोसे म कमी को दरू करना होगा। जो लोग राजनीित
म ह, उ7ह यह समझना चािहए िक हर एक चनाव
ु के साथ एक चेतावनी जड़ी
ु होती है : प-रणाम दो
अथवा बाहर हो जाओ।
7. म िनराशावादी नहC ह%ं Tयिक म जानता ह%ं िक लोकततं म खदु म सधार
ु करने क
िवल.ण योMयता है। यह ऐसा िचिक>सक है जो खदु के घाव को भर सकता है और िपछले कछ
ु वषU
क खिVडत तथा िववादा&पद राजनीित के बाद 2014 को घाव के भरने का वष होना चािहए।
मेरे यारे देशवािसयो :
8. िपछले दशक म भारत, िवK क एक सबसे तेज रWतार से बढ़ती अथ9यव&था के Aप म
उभरा है। हमारी अथ9यव&था म िपछले दो वषU म आई मदी
ु िचता
ं कछ
ं क बात हो सकती है परतंु
िनराशा क िब@कल
क हरी कपल िदखाई देने लगी ह। इस वष क पहली छमाही
ु नहC। पन=>थान
ु
म किष
6ं चक
ृ िवकास क दर बढ़कर 3.6 पितशत तक पहच
ु है और गामीण अथ9यव&था
उ>साहजनक है।
9. वष 2014 हमारे इितहास म एक चनौतीपण
ु
ू .ण है। हम रा;ीय उYेZय तथा देशभि:
के उस ज8बे का िफर से जगाने क जAरत है जो देश को अवनित से ऊपर उठाकर उसे वापस समिI
ृ
के माग पर ले जाए। यवाओ
ु
ं को रोजगार द और वे गाव
ं और शहर को 21वC सदी के &तर पर ले
आएगें । उ7ह एक मौका द और आप उस भारत को देखकर दगं रह जाएगें िजसका िनमाण करने म वे
स.म ह।
10. यिद भारत को ि&थर सरकार नहC िमलती तो यह मौका नहC आ पाएगा। इस वष, हम
अपनी लोक सभा के 16व आम चनाव
ु को देखग ।े ऐसी खिडत
ं सरकार, जो मनमौजी अवसरवािदय
पर िनभर हो, सदैव एक अिपय घटना होती है। यिद 2014 म ऐसा हआ
6 तो यह अनथकारी हो
सकता है। हमम से हर एक मतदाता है; हमम से हर एक पर भारी िज2मेदारी है; हम भारत को िनराश
नहC कर सकते। अब समय आ गया है िक हम आ>ममथन
ं कर और काम पर लग।
11. भारत के वल एक भौगोिलक .ेत ही नहC है : यह िवचार का, दशन का, प]ा का,
औ^ोिगक पितभा का, िश@प का, नवा7वेषण का, तथा अनभव
ु का भी इितहास है। भारत के
भाMयोदय को कभी आपदा ने धोखा िदया है; और कभी हमारी अपनी आ>मति;
ु तथा कमजोरी ने।
िनयित ने हम एक बार िफर से वह पा_ करने का अवसर िदया है जो हम गवां चकेु ह; यिद हम इसम
चकते
ू ह तो इसके िलए हम ही दोषी हगे और कोई नहC।
यारे देशवािसयो,
12. एक लोकताित
ं क देश सदैव खदु से तक -िवतक करता है। यह &वागत योMय है, Tयिक
हम िवचार-िवमश और सहमित से सम&याएं हल करते ह, बल पयोग से नहC। परतंु िवचार के ये
&व&थ मतभेद, हमारी शासन 9यव&था के अदर
ं अ&व&थ टकराव म नहC बदलने चािहए। इस बात पर
आकोश है िक Tया हम रा8य के सभी िह&स तक समतापणू िवकास पहचाने
6ं के िलए छोटे-छोटे
रा8य बनाने चािहए। बहस वािजब है, परतंु इसे लोकताित
ु होना चािहए। फट
ू
ं क मानदड
ं के अनAप
डालो और राज करो क राजनीित हमारे उपमहाHीप से भारी कमत वसल
ू चक
ु है। यिद हम एकजटु
होकर काय नहC कर गे तो कछ
ु नहC हो पाएगा।
13. भारत को अपनी सम&याओ ं के समाधान खदु ढढ़ने
ूं हगे। हम हर तरह के ]ान का
&वागत करना चािहए; यिद हम ऐसा नहC करते तो यह अपने देश को गहरे दलदल के बीच भटकने
के िलए छोड़ने के समान होगा। लेिकन हम अिववेकपणू नकल का आसान िवक@प नहC अपनाना
चािहए Tयिक यह हम भटकाव म डाल सकता है। भारत के पास सनहरे
ु भिवSय का िनमाण करने के
िलए बौिIक कौशल, मानव ससाधन
तथा िवEीय पजी
ं
ंू है। हमारे पास नवा7वेषी मानिसकता सप7न
ं ,
ऊज&वी िसिवल समाज है। हमारी जनता, चाहे वह गाव
ू
ं म हो अथवा शहर म, एक जीवतं, अनठी
चेतना तथा स&कित
ु है। हमारी सबसे शानदार पजी
ु
ं ृ से जड़ी
ंू है मनSय।
यारे देशवािसयो :
14. िश.ा, भारतीय अनभव
ु का अिवभा8य िह&सा रही है। म के वल त.िशला अथवा
नालदा
ृ स&थाओ
ं जैसी पाचीन उ>क;
ं
ं के बारे म ही नहC, वरन् हाल ही क 17वC और 18वC सदी
क बात कर रहा ह।%ं आज, हमारे उaच िश.ा के ढाचे
ं म 650 से अिधक िवKिव^ालय तथा
33000 से अिधक कॉलेज ह। अब हमारा यान िश.ा क गणवEा
पर होना चािहए। हम िश.ा म
ु
िवK क अगआई
तथा
ु कर सकते ह, बस यिद हम उस उaच िशखर तक हम ले जाने वाले सक@प
ं
नेत>व
वग का िवशेषािधकार नहC है वरन् सबका अिधकार
ृ को पहचान ल। िश.ा अब के वल कलीन
ु
है। यह देश क िनयित का बीजारोपण है। हम एक ऐसी िश.ा कांित शA
ु करनी होगी जो रा;ीय
पन=>थान
क श=आत
का क द बन सके ।
ु
ु
15. म जब यह दावा करता ह%ं िक भारत िवK के िलए एक िमसाल बन सकता है, तो म न
तो अिवनीत हो रहा ह%ं और न ही झठी
ं कर रहा ह।%ं Tयिक, जैसा िक महान ऋिष रवी7द नाथ
ू पशसा
टैगोर ने कहा था, वा&तव म मानव मन तभी बेहतर ढगं से िवकिसत होता है, जब वह भय रिहत हो;
]ान क खोज म अ]ात .ेत म िवचरण करने के िलए &वततं हो; और जब लोग के पास प&ताव
देने का और िवरोध करने का मौिलक अिधकार हो।
मेरे यारे देशवािसयो :
16. इससे पहले िक म हमारे &वततं ता िदवस क पवू सया
ं पर आपको िफर से सबोिधत
ं
कAं, नई सरकार बन चक
ु होगी। आने वाले चनाव
ु को कौन जीतता है, यह इतना महdवपणू नहC है
िजतना यह बात िक चाहे जो जीते उसम &थाई>व, ईमानदारी, तथा भारत के िवकास के पित अटटू
पितबIता होनी चािहए। हमारी सम&याएं रात-रात समा_ नहC हगी। हम िवK के एक ऐसे उथलपथल
ु से पभािवत िह&से म रहते ह, जहां िपछले कछ
ु समय के दौरान अि&थरता पैदा करने वाले
कारक म बढ़ोतरी हई6 है। सापं दाियक शि:यां तथा आतकवादी
अब भी हमारी जनता के सौहाद तथा
ं
हमारे रा8य क अखडता
ु
ं को अि&थर करना चाहगे परतंु वे कभी कामयाब नहC हगे। हमारे सर.ा
तथा सश&त बल ने, मजबतू जन-समथन क ताकत से, यह सािबत कर िदया है िक वह उसी
कशलता
से आत-रक
दZमन
ु
ु सकते ह; िजससे वह हमारी सीमाओ ं क र.ा करते ह।
ं
ु को भी कचल
ऐसे बड़बोले लोग जो हमारी र.ा सेवाओ ं क िनeा पर शक करते ह, गैर िज2मेदार ह तथा उनका
सावजिनक जीवन म कोई &थान नहC होना चािहए।
17. भारत क असली ताकत उसके गणततं म; उसक पितबIता के साहस म, उसके
सिवधान
क दरदिश
ं
ू ता म, तथा उसक जनता क देशभि: म िनिहत है। 1950 म हमारे गणततं का
उदय हआ
का वष होगा।
6 था। मझेु िवKास है िक 2014 पन=>थान
ु
जय िहदं!