Transcript विशिष्ट उद्देश्य
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पाठ योजना
कक्षा – दशम ् संस्कृत
कालांश - ३५ ममनट
विषय-“राष्ट्रम ् संरक्ष्यमेि हि”
सिायक सामग्री: सध
्
ु ाखंड:,मित्ततपत्रम,दृश्य
श्रव्य साधनम ् , संगणकयन्त्त्र|
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विशिष्ट उद्देश्य-
1 “राष्ट्रम ् संरक्ष्यमेि हि” शीषषक पाठ के माध्यम से विद्यार्थषयों में राष्ट्र
ित्तत की िािना जागत
ृ कर राष्ट्र की रक्षा सिोपरर िै , इस प्रकार की
मनोितृ तयों का संचार करिाना |
2 विनाशकारी अस्त्रों का प्रयोग मानि समद
ु ाय के मलए िातनकारक िै ,
इसका बोध कराना |
3 अहिंसा के मार्ष पर चलकर जीिन को सफल बनाने एिं शात्न्त्त के
मार्ष पर चलने के मलए प्रोतसाहित करना |
Slide 3
सामान्त्य उद्देश्य:
1 संस्कृत गद्य पद्य के प्रतत विद्यार्थषयों में सामान्त्य अनरु ाग
उतपन्त्न करना |
2 बच्चों में लय, यतत के अनस
ु ार गद्य और पद्य उच्चारण की
योग्यता उतपन्त्न करना |
3 गद्य के मख्
ु य िाि को ग्रिण करने की योग्यता प्रदान करना |
4 गद्य और पद्य सौन्त्दयष अनि
ु तू त के प्रतत प्रेररत करना |
Slide 4
अमिप्रेरणा:
(1) विद्यार्थषयों में मिान परु
ु षों के चररत्र, जीिनी एिं उनके
आदशो का बखान कर, अपनाने की ओर प्रेररत करना| (र्चत्र)
(2) आणविक अस्त्रों के दरु
ु पयोग से विनाश और सदप
ु योग से
विकास का समुर्चत ज्ञान कराना| (र्चत्र)
(3) विद्यार्थषयों को सकारातमक सद्गण
ु ों एिं सस
ु ंस्कृत
संस्कारों के प्रतत अमिप्रेररत कराना |
Slide 5
पि
ष ान परीक्षण
ू ज्ञ
अध्यापक_ प्यारे बच्चों!आप जीिन में ककस मागष पर चलना
पसंद करोगे?
छात्र-( संिावित उततर)- अहिंसा के मागष पर|
अध्यापक- आणविक िर्थयारों के दरु
ु पयोग से तया िोता िै ?
छात्र-(संिावित उततर)- विनाश |
अध्यापक- प्राचीन काल में आणविक िर्थयारों का प्रयोग ककन पर
तनवषद्ध था?
छात्र- (संिावित उततर)- मनुष्ट्यों पर|
अध्यापक- अहिंसा का पाठ ककन मिापरु
ु षों ने पढ़ाया था?
छात्र –(संिावित उततर)- मिातमा बुद्ध,गांधी और मिािीर |
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विषय प्रस्तुतीकरण
• आज िम विषय प्रस्तत
ु ीकरण मे ‘राष्ट्रं संरक्ष्यमेि हि’ इस शीषषक के
अन्त्तगषत राष्ट्र की रक्षा सिोपरर िै पाठ का अध्ययन करे गें |• ( तत: पत्र
ु शोक- संतप्ता: यर्ु धत्ष्ट्ठर: िीम: द्रौपदी च यर्ु धत्ष्ट्ठर:
रणिम
ू ौ प्रिेशत्न्त्त )
द्रौपदी- (दीर्ष तनश्िस्य) िा िन्त्त! ककममदं जातम ्| पापकमषणा द्रौणीना मे
पत्र
ु ा: भ्रातरश्च िता| अत्ग्न इि दितत माम ् अयं शोक|
युर्धत्ष्ट्ठर: शुिे! धैयं धारय | नूनं ति पुत्रा: िीरगततमेि प्राप्ता| िीरजननी तिं शोर्चतुम ् अिषतत|.......................
अजन
ष ् आचायष: पुत्रं सािधानम ्
ुष - अपरं च, अस्त्रमशक्षाप्रदानात ् पूिम
अकरोत ् यत ्परमापदगतेनावप नैि तात तिया रणे |
इदममस्त्रं प्रयोततव्यम मानष
ु ेषु विशेषत: ||
अन्त्िय:- तात! परम-आपदगतेन अवप तिया रणे इदम अस्त्रम ् विशेषत:
मनुष्ट्येषु न एि प्रयोततव्यम |
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समूि कायष:-
1 प्रथम समि
ू 2 द्वितीय समि
ू 3 तत
ू 4 चतुथष समि
ू
ृ ीय समि
प्रथम समि
ू संिावित प्रस्तत
ु ीकरण
द्वितीय समूि संिावित प्रस्तुतीकरण
1
2
3
4
1
2
3
4
द्रौपद्य: पुत्रा: केन िता:?
क: न िासते स्म?
मिािारतम कस्य कृतत:?
“ अलम” के योग में कौन सी
विित्तत का प्रयोग िोता िै ?
उततर
उततर
उततर
उततर
1234-
द्रौणीना |
सिस्रान्त्शु |
मिवषष: िेद व्यास |
तत
ृ ीया विित्तत |
िारणािते पाण्डिान ् क: अरक्षत ् ?
आकाशात ् का: पतत्न्त्त स्म?
नकुल: कस्य सारर्थ: आसीत ्?
“ प्राप्ता:” शब्द में मल
ू धातु प्रतयय
एिं िचन बताएं ?
उततर 1उततर 2उततर 3उततर 4बिुिचन|
िीम: |
उल्का: |
िीमस्य |
प्र + आप ् धातु, तत प्रतयय,
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व्याख्या
• पत्र
ु अमिमन्त्यु के शोक में संतप्त यर्ु धत्ष्ट्ठर िीम और द्रौपदी प्रिेश
करते िैं|
• द्रौपदी- ( लंबी सांस लेकर) िाय! दख
ु िै , यि तया िो गया? पापी द्रौण
पत्र
ु अश्ितथामा ने मेरे पत्र
ु और िाइयों को मार हदया| यि शोक मझ
ु े
आग की तरि जला रिा िै |
• यर्ु धत्ष्ट्ठर: - िे कल्याणी! धैयष धारण करो| तम्
ु िारे पत्र
ु िीरगतत को
प्राप्त िुए िैं| तम
ु िीरों की माता िो, तम
ु शोक करने योग्य निीं
िो|...........................
• अजन
ुष - और िी, अस्त्र की मशक्षा दे ने से पिले, आचायष जी ने उसे,
कफर सािधान कर हदया था कक• िे बेटा! बड़ी से बड़ी आपत्तत आने पर िी, युद्ध मे तुझे विशेषरूप से
मनष्ट्ु यों पर इसका प्रयोग निीं करना िै |
Slide 9
तत
ृ ीय समूि संिावित प्रस्तुतीकरण
चतुथष समूि संिावित प्रस्तुतीकरण
1 आपदगतेनावप ब्रह्मास्त्रम केषु न
प्रयोततव्यम ्?
2 अश्ितथामा श्रीकृष्ट्णं ककं अयच््त?
3 अश्ितथामा केषां विनाशाय ब्रह्मास्त्रम
मोचयतत?
4 पापकमषणा द्रौणीना मे पुत्रा: िता:इस िातय में कौन सा शब्द विशेषण
और विशेष्ट्य िै ?
1 िीमसेन: नकुलेन सि कम
अनग
ु च्छतत?
2 ब्रह्मास्त्रस्य तनषेधेन के के संरक्ष्या:
सत्न्त्त?
3 अत्स्मन ् पाठे अस्त्रस्य ककम ् नाम
अत्स्त?
4 िितु , असौ-पद पररचय दीत्जये?
उततर 1- मानिेष|ु
उततर 2- चक्रम|
उततर 3- िीम: श्रीकृष्ट्ण: अजुन
ष :
युर्धत्ष्ट्ठर च |
उततर 4- पापकमषणा –विशेषण,द्रौणीना विशेष्ट्य |
उततर 1- द्रौणीम ् |
उततर 2- पाण्डिा:, अश्ितथामा राष्ट्रं च|
उततर 3- ब्रह्मास्त्रम ् |
उततर 4- िित-ु िू धातु, लोट् लकार,
प्रथमपरु
ु ष, एकिचन |
असौ- अदस ् शब्द (सिषनाम) पत्ु ल्लंग,
प्रथमा विित्तत, एकिचन|
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मल्
ू यांकन ( विश्लेषणातमक)
प्रश्न
1 पाण्डिानां कतत पुत्रा: आसन ् ?
उततर
1 पञ्च |
2
अश्ितथामा कस्य पत्र
ु : आसीत ् ?
2
3
यर्ु धत्ष्ट्ठरस्य अपरं नाम ककम ्
आसीत ्?
अश्ितथामा ब्रह्मास्त्रम ् केन
प्राप्तिान ् ?
3
धमषराज: |
4
द्रौणाचायाषत ् |
4
5
मिािारतम ् कस्य कृतत:?
5
गरु
ु द्रौणाचायषस्य |
िेदव्यासस्य|
Slide 11
गि
ृ कायष
1 पाठ के प्रथम गद्यांश के आधार पर
उततर मलखखए |
प्रश्न-
2 पाठ में से चार विलोम शब्द मलखें |
3 ककस
मागष का अनस
ु रण करना चाहिए?
4 पाठ का सारांश हिन्त्दी िाषा में मलखें |
5 स: पुस्तकं पठतत-िाच्य पररितषन करें |
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सार कथन –”राष्ट्रम ् संरक्ष्यमेि हि” पाठ में
मिािारत काल में िी आणविक अस्त्रों का
प्रयोग मानि जातत एिं राष्ट्र पर तनवषद्ध था
|द्वितीय विश्ि युद्ध में जापान के हिरोमशमा
और नागासाकी में र्गराया गया अणब
ु म जो
कक नरसंिार ज्िलंत उदािरण िै |
पाठ योजना
कक्षा – दशम ् संस्कृत
कालांश - ३५ ममनट
विषय-“राष्ट्रम ् संरक्ष्यमेि हि”
सिायक सामग्री: सध
्
ु ाखंड:,मित्ततपत्रम,दृश्य
श्रव्य साधनम ् , संगणकयन्त्त्र|
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विशिष्ट उद्देश्य-
1 “राष्ट्रम ् संरक्ष्यमेि हि” शीषषक पाठ के माध्यम से विद्यार्थषयों में राष्ट्र
ित्तत की िािना जागत
ृ कर राष्ट्र की रक्षा सिोपरर िै , इस प्रकार की
मनोितृ तयों का संचार करिाना |
2 विनाशकारी अस्त्रों का प्रयोग मानि समद
ु ाय के मलए िातनकारक िै ,
इसका बोध कराना |
3 अहिंसा के मार्ष पर चलकर जीिन को सफल बनाने एिं शात्न्त्त के
मार्ष पर चलने के मलए प्रोतसाहित करना |
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सामान्त्य उद्देश्य:
1 संस्कृत गद्य पद्य के प्रतत विद्यार्थषयों में सामान्त्य अनरु ाग
उतपन्त्न करना |
2 बच्चों में लय, यतत के अनस
ु ार गद्य और पद्य उच्चारण की
योग्यता उतपन्त्न करना |
3 गद्य के मख्
ु य िाि को ग्रिण करने की योग्यता प्रदान करना |
4 गद्य और पद्य सौन्त्दयष अनि
ु तू त के प्रतत प्रेररत करना |
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अमिप्रेरणा:
(1) विद्यार्थषयों में मिान परु
ु षों के चररत्र, जीिनी एिं उनके
आदशो का बखान कर, अपनाने की ओर प्रेररत करना| (र्चत्र)
(2) आणविक अस्त्रों के दरु
ु पयोग से विनाश और सदप
ु योग से
विकास का समुर्चत ज्ञान कराना| (र्चत्र)
(3) विद्यार्थषयों को सकारातमक सद्गण
ु ों एिं सस
ु ंस्कृत
संस्कारों के प्रतत अमिप्रेररत कराना |
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पि
ष ान परीक्षण
ू ज्ञ
अध्यापक_ प्यारे बच्चों!आप जीिन में ककस मागष पर चलना
पसंद करोगे?
छात्र-( संिावित उततर)- अहिंसा के मागष पर|
अध्यापक- आणविक िर्थयारों के दरु
ु पयोग से तया िोता िै ?
छात्र-(संिावित उततर)- विनाश |
अध्यापक- प्राचीन काल में आणविक िर्थयारों का प्रयोग ककन पर
तनवषद्ध था?
छात्र- (संिावित उततर)- मनुष्ट्यों पर|
अध्यापक- अहिंसा का पाठ ककन मिापरु
ु षों ने पढ़ाया था?
छात्र –(संिावित उततर)- मिातमा बुद्ध,गांधी और मिािीर |
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विषय प्रस्तुतीकरण
• आज िम विषय प्रस्तत
ु ीकरण मे ‘राष्ट्रं संरक्ष्यमेि हि’ इस शीषषक के
अन्त्तगषत राष्ट्र की रक्षा सिोपरर िै पाठ का अध्ययन करे गें |• ( तत: पत्र
ु शोक- संतप्ता: यर्ु धत्ष्ट्ठर: िीम: द्रौपदी च यर्ु धत्ष्ट्ठर:
रणिम
ू ौ प्रिेशत्न्त्त )
द्रौपदी- (दीर्ष तनश्िस्य) िा िन्त्त! ककममदं जातम ्| पापकमषणा द्रौणीना मे
पत्र
ु ा: भ्रातरश्च िता| अत्ग्न इि दितत माम ् अयं शोक|
युर्धत्ष्ट्ठर: शुिे! धैयं धारय | नूनं ति पुत्रा: िीरगततमेि प्राप्ता| िीरजननी तिं शोर्चतुम ् अिषतत|.......................
अजन
ष ् आचायष: पुत्रं सािधानम ्
ुष - अपरं च, अस्त्रमशक्षाप्रदानात ् पूिम
अकरोत ् यत ्परमापदगतेनावप नैि तात तिया रणे |
इदममस्त्रं प्रयोततव्यम मानष
ु ेषु विशेषत: ||
अन्त्िय:- तात! परम-आपदगतेन अवप तिया रणे इदम अस्त्रम ् विशेषत:
मनुष्ट्येषु न एि प्रयोततव्यम |
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समूि कायष:-
1 प्रथम समि
ू 2 द्वितीय समि
ू 3 तत
ू 4 चतुथष समि
ू
ृ ीय समि
प्रथम समि
ू संिावित प्रस्तत
ु ीकरण
द्वितीय समूि संिावित प्रस्तुतीकरण
1
2
3
4
1
2
3
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द्रौपद्य: पुत्रा: केन िता:?
क: न िासते स्म?
मिािारतम कस्य कृतत:?
“ अलम” के योग में कौन सी
विित्तत का प्रयोग िोता िै ?
उततर
उततर
उततर
उततर
1234-
द्रौणीना |
सिस्रान्त्शु |
मिवषष: िेद व्यास |
तत
ृ ीया विित्तत |
िारणािते पाण्डिान ् क: अरक्षत ् ?
आकाशात ् का: पतत्न्त्त स्म?
नकुल: कस्य सारर्थ: आसीत ्?
“ प्राप्ता:” शब्द में मल
ू धातु प्रतयय
एिं िचन बताएं ?
उततर 1उततर 2उततर 3उततर 4बिुिचन|
िीम: |
उल्का: |
िीमस्य |
प्र + आप ् धातु, तत प्रतयय,
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व्याख्या
• पत्र
ु अमिमन्त्यु के शोक में संतप्त यर्ु धत्ष्ट्ठर िीम और द्रौपदी प्रिेश
करते िैं|
• द्रौपदी- ( लंबी सांस लेकर) िाय! दख
ु िै , यि तया िो गया? पापी द्रौण
पत्र
ु अश्ितथामा ने मेरे पत्र
ु और िाइयों को मार हदया| यि शोक मझ
ु े
आग की तरि जला रिा िै |
• यर्ु धत्ष्ट्ठर: - िे कल्याणी! धैयष धारण करो| तम्
ु िारे पत्र
ु िीरगतत को
प्राप्त िुए िैं| तम
ु िीरों की माता िो, तम
ु शोक करने योग्य निीं
िो|...........................
• अजन
ुष - और िी, अस्त्र की मशक्षा दे ने से पिले, आचायष जी ने उसे,
कफर सािधान कर हदया था कक• िे बेटा! बड़ी से बड़ी आपत्तत आने पर िी, युद्ध मे तुझे विशेषरूप से
मनष्ट्ु यों पर इसका प्रयोग निीं करना िै |
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तत
ृ ीय समूि संिावित प्रस्तुतीकरण
चतुथष समूि संिावित प्रस्तुतीकरण
1 आपदगतेनावप ब्रह्मास्त्रम केषु न
प्रयोततव्यम ्?
2 अश्ितथामा श्रीकृष्ट्णं ककं अयच््त?
3 अश्ितथामा केषां विनाशाय ब्रह्मास्त्रम
मोचयतत?
4 पापकमषणा द्रौणीना मे पुत्रा: िता:इस िातय में कौन सा शब्द विशेषण
और विशेष्ट्य िै ?
1 िीमसेन: नकुलेन सि कम
अनग
ु च्छतत?
2 ब्रह्मास्त्रस्य तनषेधेन के के संरक्ष्या:
सत्न्त्त?
3 अत्स्मन ् पाठे अस्त्रस्य ककम ् नाम
अत्स्त?
4 िितु , असौ-पद पररचय दीत्जये?
उततर 1- मानिेष|ु
उततर 2- चक्रम|
उततर 3- िीम: श्रीकृष्ट्ण: अजुन
ष :
युर्धत्ष्ट्ठर च |
उततर 4- पापकमषणा –विशेषण,द्रौणीना विशेष्ट्य |
उततर 1- द्रौणीम ् |
उततर 2- पाण्डिा:, अश्ितथामा राष्ट्रं च|
उततर 3- ब्रह्मास्त्रम ् |
उततर 4- िित-ु िू धातु, लोट् लकार,
प्रथमपरु
ु ष, एकिचन |
असौ- अदस ् शब्द (सिषनाम) पत्ु ल्लंग,
प्रथमा विित्तत, एकिचन|
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मल्
ू यांकन ( विश्लेषणातमक)
प्रश्न
1 पाण्डिानां कतत पुत्रा: आसन ् ?
उततर
1 पञ्च |
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अश्ितथामा कस्य पत्र
ु : आसीत ् ?
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यर्ु धत्ष्ट्ठरस्य अपरं नाम ककम ्
आसीत ्?
अश्ितथामा ब्रह्मास्त्रम ् केन
प्राप्तिान ् ?
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धमषराज: |
4
द्रौणाचायाषत ् |
4
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मिािारतम ् कस्य कृतत:?
5
गरु
ु द्रौणाचायषस्य |
िेदव्यासस्य|
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गि
ृ कायष
1 पाठ के प्रथम गद्यांश के आधार पर
उततर मलखखए |
प्रश्न-
2 पाठ में से चार विलोम शब्द मलखें |
3 ककस
मागष का अनस
ु रण करना चाहिए?
4 पाठ का सारांश हिन्त्दी िाषा में मलखें |
5 स: पुस्तकं पठतत-िाच्य पररितषन करें |
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सार कथन –”राष्ट्रम ् संरक्ष्यमेि हि” पाठ में
मिािारत काल में िी आणविक अस्त्रों का
प्रयोग मानि जातत एिं राष्ट्र पर तनवषद्ध था
|द्वितीय विश्ि युद्ध में जापान के हिरोमशमा
और नागासाकी में र्गराया गया अणब
ु म जो
कक नरसंिार ज्िलंत उदािरण िै |