हिन्दी कक्षा चौथी - पाठ - 9 - स्वतंत्रता की ओर स्वतंत्रता की ओर धनी एक नौ साल का लड़का , उसके माता - पिता के.
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हिन्दी कक्षा चौथी - पाठ - 9 - स्वतंत्रता की ओर स्वतंत्रता की ओर धनी एक नौ साल का लड़का , उसके माता - पिता के साथ अहमदाबाद के िास महात्मा गाांधी के सबरमती आश्रम में रहता था |उस आश्रम में िरू े भारत से लोग गाांधी जी के साथ भारत की स्वतांत्रता के ललए काम कर रहे थे | स्वतंत्रता की ओर साबरमती में सबको कोई न कोई काम करना होता - खाना िकाना , बततन और किड़े धोना , कुएँ से िानी लाना , गाय बकररयों का दध ू दह ु ना , सब्जी उगाना , चरखों िर सत ू कातना, भजन गाना , और गाांधी जी की बातें सन ु ना आदद | स्वतंत्रता की ओर धनी का काम था बबन्नी की दे खभाल करना बबन्नी आश्रम की एक बकरी थी | हर ददन सुबह बबन्नी को हरी घास खखलाना, बततन में िानी पिलाना और उससे बातें करना बबन्नी को खूब िसांद था | स्वतंत्रता की ओर धनी ने समझ ललया कक गाांधी जी और उनके साथी कहीां जाने की बातें बता रहे हैं | वहु उसकी माँ से िूछा "क्या गाांधी जी कहीां जाने की तैयाररयाँ कर रहे हैं? उसकी माँ बोली,वे समद्र ु ु के िास जा रहे हैं | स्वतंत्रता की ओर धनी बबन्नी को लेकर सब्जी की क्यारी में काम करने वाला बबांदा चाचा के िास गया , और उसने गाांधी जी के यात्रा के बारे में िछ ू ा | चाचा ने बताया कक गाांधी जी कुछ साथथयों के साथ दाँडी नाम की जगह िर समद्र ु ु के िास नमक बनाने िैदल जाने की योजना बनाई हैं | स्वतंत्रता की ओर गाांधी जी बिदिश सरकार के पवरोध में कई जल ू ूस ननकालते थे | मगर धनी की समझ में यह आता नहीां था कक गाांधी जी नमक को लेकर पवरोध क्यों कर रहे हैं ? बबांदा चाचा ने धानी को समझाया कक हमें नमक िर "कर" दे ना िडता था इसललए ऐसी योजना बनाई | स्वतंत्रता की ओर अब तक धनी समझ ललया कक हर भारतवासी गरीब से गरीब भी नमक िर "कर" दे ना अन्याय हैं| वह भी गाांधी जी के साथ जाना चाहा | वह िरे शान भी हो रहा था कक एक महीना िैदल चलकर गाांधी जी तो थक जाएँगे| धनी को अिने पिताजी से मालम ू हूआ कक गाांधी जी के साथ जो जाएगा जजन्हें गाांधी जी खुद चन ु ा है | वहु गाांधी जी से लमलना चाहा | स्वतंत्रता की ओर अगले ददन सब ु ह धनी गाांधी जी को ढूँढने ननकला |वह बबन्नी को लेकर गाांधी जी के पिछे - पिछे चला| जब गाांधी जी अिनी झोंिडी के बराांदे में चरखे के िास बैठा , तब वे धनी को िक ु ारा , " यहाँ आओ बेिा“| धनी दौड्कर उनके िास गया और यात्रा िर उन्हें भी ले जाने की बबनती की । स्वतंत्रता की ओर गाांधी जी ने बडे प्यार से धनी को समझाया कक "जब वह वापिस आओगे तब खूब थक जाएगा । तब तक धनी बबन्नी की दे खभाल कर के उसके ललए खब सारा दध ू ु दे ना" । धनी गाांधी की बातें मान ललया ओर उनका इन्तज़ार में बैठा । स्वतंत्रता की ओर