पाठ योजना कक्षा : दसव ीं ववषय : हिन्दी पाठ्य पस् ु तक : क्षक्षततज भाग : 2 मानवीय करुणा की दिव्य चमक लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना डा0 कामिल.
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Slide 1
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
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अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 2
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 3
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 4
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
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अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 5
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 6
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
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पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 8
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 9
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
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पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 11
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 12
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
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पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 14
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 15
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
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पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 17
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 18
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
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अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 19
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 20
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
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पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
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अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 22
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 23
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
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पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
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पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 26
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
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पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 2
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
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पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 4
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
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पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
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अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 6
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 7
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
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पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
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अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 9
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 10
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
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पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 12
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 13
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
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पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 15
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 16
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
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पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 18
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
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पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
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अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 20
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 21
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
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पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
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अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 23
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 24
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
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पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
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पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श
Slide 27
पाठ योजना
कक्षा : दसव ीं
ववषय : हिन्दी
पाठ्य पस्
ु तक : क्षक्षततज
भाग : 2
मानवीय करुणा की दिव्य चमक
लेखक
सवेश्वर दयाल सक्सेना
डा0 कामिल बल्
ु के
1927-1983
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
काठ की घींहियााँ
कववता
सींग्रि
कुआनो नदी
खींिीयों पर िीं गे लोग
जींगल का ददद
सवेश्वर ियाल सक्सेना की प्रमुख रचनाएँ
उपन्यास
पागल कुत्तों का िस िा
सोया िुआ जल
किान
सींग्रि
लड़ाई
नािक
बकरी
ववशेष सम्मान
कववता सींग्रि
“खींिीयों पर िीं गे लोग”
के मलये 1983 िें
साहित्य अकादि परु स्कार
से सम्िातनत ककए गए।
पाठ योजना के उद्देश्य
सामान्य उद्देश्य
हिन्दी साहित्य की गद्य ववधा िें रुचि बढ़ाना।
हिन्दी साहित्य की ववधा ‘सींस्िरण’ से पररचित करवाना।
कल्पना शक्क्त एवीं सज
ृ नात्िकता का ववकास करना।
ववद्याचथदयों के हिन्दी शब्द भींडार िें ववृ ि करना ।
भाषाय कौशलों िें ववृ ि करना।
पाठ योजना के उद्देश्य
•
ववमशष्ि उद्देश्य
तनस्वाथद भाव से कायद करने वाली ििान ववभतत ‘कामिल
बल्
ु के’ के ज वन से पररचित करवाना
फादर कामिल बुल्के के ज वन के िाध्यि से िानव य िल्यों
का बोध करवाना।
बल्
ु के के वैयक्क्तक गण
ु ों की ििाद के िाध्यि से ववद्याचथदयों
का िाररत्रिक ववकास करना।
ववद्याचथदयों को सींस्िरण-लेखन के मलए अमभप्रेररत करना।
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
I;kjs cPpks! D;k vki ns”k ds egku O;fDr;ksa ds uke crk ldrs
gaS\
ििात्िा गाींध
िुींश प्रेि िींद
जवािर लाल नेिरू
सरदार भगत मसींि
स्वाि वववेकानींद
रववींदरनाथ िै गोर
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
वप्रय ववद्याचथदयो! क्या आप ऐसे ििान व्यक्क्तयों के बारे िें जानते िैं क्जनका
जन्ि तो ववदे श िें िुआ परन्तु उन्िोने भारत को अपन किदभमि बनाया?
िदर िे रेसा (प्रमसि सिाज सेववका) तनकोलस रोररख (प्रमसि चििकार)
अमभप्रेरणा एवीं पवद ज्ञान परीक्षण
प्यारे बच्िो! यि तो आप जानते िैं की ककस भ ििान
व्यक्क्त का ज वन दसरों के मलए प्रेरणा का स्रोत िोता िै ।
क्या आप बताएाँगे की उनके ज वन से सबक्न्धत जानकारी
ककस ववधा के द्वारा प्राप्त की जा सकत िै ?
सींभाववत उत्तर : ज वन अथवा आत्िकथा
अपेक्षक्षत उत्तर प्राप्त न िोने की क्स्थतत िें अध्यापक द्वारा ववद्याचथदयों को
ज वन / आत्िकथा के सींबध
ीं िें सींक्षेप िें बताया जाएगा अन्यथा ववषय की
उद्घोषणा करे गा।
उद्घोषणा
आज िि ज वन और आत्िकथा िी की तरि साहित्य की
एक अन्य ववधा सींस्िरण से अवगत िोंगे स्ितृ त के आधार पर ककस ववषय पर मलखखत
आलेख ‘सींस्िरण’ किलाता िै |
सवेश्वर
की हदव्य
कामिल
से प्रकाश
दयाल सक्सेना द्वारा मलखखत पाठ “िानव य करुणा
ििक “ इस तरि का एक सींस्िरण िै क्जसिे फादर
बल्
ु के के ज वन एवीं व्यककतत्व पर बिुत िी रोिक ढीं ग
डाला गया िै |
पाठ साराींश
फादर कामिल बल्
ु के का जन्ि यरोप िें बेक्ल्जयि के रे म्सिैपल शिर िें िुआ था| ककन्तु वे
इींज तनयररींग की पढ़ाई छोडने के उपराींत भारत आ गए थे और यिीीं बस गए थे |
लेखक सवेश्वर दयाल सक्सेना का फादर कामिल बुल्के से अींतरीं ग सम्बन्ध था | यिी कारण
िै की लेखक सक्सेना उनके व्यक्क्तत्व का ज वींत चिि इस सींस्िरण िें ख ि
ीं सके िै |
इस पाठ िें लेखक ने बुल्के के बािरी व्यककतत्व का सज व चििण ककया िै ।
फादर बुल्के का ह्रदय दया, ििता, अपनेपन
क्रोध निीीं करते थे| उनका ज वन सादा था |
से भरा िुआ था | वे शाींत स्वभाव के थे, कभ
बल्
ु के उस सिय की साहिक्त्यक सींस्था पररिल िें रुचि लेते थे | गोक्ष्ठयो िें गींभ र
ििाद करते और पररिल के सदस्यो के दख
ु –सुख िें शामिल िोते | िीं स िज़ाक भ भरपर
ककया करते थे | ककस से ररश्ता बनाते तो हदल से तनभाते थे |
वे दसरों के
सुख –दख
िें घर के ककस बड़े क्जम्िेदार व्यक्क्त की तरि बराबर
ु
हिस्सेदारी तनभाते| उनके द्वारा प्रकि ककए गए साींत्वना के शब्द जाद भरे िोते कक सुनने
वाला िींि िुग्ध िो उठता |
हिन्दी भाषा के प्रतत उनका ववशेष लगाव था | वे हिन्दी को राष्र भाषा के रूप िें दे खना
िािते थे और हिन्दी के पक्ष िें अकाट्य तकद दे ते थे | उन्िोने हिन्दी िें रािकथा : उत्पतत और
ववकास ववषय पर शोध कायद ककया |
सािहिक गततववचध
समूह : 1
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को जिरवाद से निीीं िरना िाहिए था। क्जसकी रगों िें दसरों के मलए
मिठास भरे अित
ृ के अततररक्त और कुछ निीीं था उसके मलए इस जिर का
ववधान क्यों िो? यि सवाल ककस ईश्वर से पछें ? प्रभु की आस्था िी क्जसका
अक्स्तत्व था वि दे ि की इस यातना की परीक्षा उम्र की आखखरी दे िरी पर क्यों
दे ? एक लींब , पादरी के सफ़ेद िोगे से ढकी आकृतत सािने िै – गोरा रीं ग’
सफ़ेद झाईं िारत भरी दाढ़ी, न ली आाँखें बााँिें खोल गले लगाने को आतुर।
इतन ििता, इतना अपनत्व, इस साधु िें अपने िर एक वप्रयजन के मलए
उिड़ता रिता था। िैं पैंत स साल से इसका साक्ष था। तब भ जब वि
इलािाबाद िें थे और तब भ जब वि हदल्ली आते थे। आज उन बािों का
दवाब िैं अपन छात पर ििसस करता िाँ।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समह
ू : 1
सिि :1 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
ईश्वर िें आस्था
िद
ृ ु भाष
िित्व
सािहिक गततववचध
समह
ू : 2
अनच्
ु छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
फादर को याद करना एक उदास शाींत सींग त को सन
ु ने जैसा िै । उनको दे खना
करुणा के तनिदल जल िेन स्नान करने जैसा था और उनसे बात करना किद
के सींकल्प से भरना था। िझ
ु े ‘पररिल’ के वे हदन याद आते िैं जब िि सब
एक पाररवाररक ररश्ते िें बींधे जैसे थे क्जसके बड़े’ फादर बल्
ु के थे। ििारे िीं स िज़ाक िेन वे तनमलदत्प शामिल रिते, ििारी गोक्ष्ठयों िें वे गींभ र बिस करते,
ििारी रिनाओीं पर बेवाक राय और सझ
ु ाव दे ते और ििारे घरों के ककस भ
उत्सव और सींस्कार िें वि बड़े भाई और परु ोहित जैसे खड़े िो ििें अपन
आश षों से भर दे त।े िझ
ु े अपना बच्िा और फादर का उसके िुख िेन पिली
बार अन्न डालना याद आता िै और न ली आाँखों की ििक िेन तैरता
वात्सल्य भ -जैसे ककस ऊींिाई पर दे वदारु की छाया िें खड़े िों।
प्रस्तुत अनुच्छे द के आधार पर फादर कामिल बुल्के के
व्यक्क्तत्व की ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 2
सिि :2 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
ध र एवीं गींभ र
करुणािय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
किदठ
िनोववनोदवप्रय
मिलनसार
उत्तरदातयत्व की भावना
करुणािय
समह
ू : 3
अनुच्छे द का ध्यान पवदक िौन वािन करें
किााँ से शरू
ु करें ! इलािाबाद की सड़कों पर फ़ादर की साइककल िलत दीख रिी
िै | वि ििारे पास आकर रुकत िै , िस्
ु कराते िुए उतरते िै , दे खखए-दे खखए िैंने
उसे पढ़ मलया िै और िैं किना िािता िाँ ....” उनको क्रोध िेँ कभ निीीं दे खा,
आवेश िें दे खा िै और ििता तथा प्यार िें लबालब छलकता ििसस ककया िै
| अकसर उन्िें दे खकर लगता की बेक्ल्जयि िें इींज तनयररींग के अींतति वषद िें
पिुिकर उनके िन िें सन्यास बनने की इच्छा कैसे जाग गई जबकक घर भरा–
परा था–दो भाई ,एक बहिन ,िााँ ,वपता सभ थे |
“आपको अपने दे श की याद आत िै ?”
“िेरा दे श तो अब भारत िै !”
“िैं जन्िभमि की पछ रिा िाँ ?”
“िााँ आत िै |बिुत सुींदर िै िेरी जन्िभमि–रें सिैपल |”
“घर िें ककस की याद ?”
“िााँ की याद आत िै –बिुत याद आत िै |”
प्रस्तत
ु अनच्
ु छे द के आधार पर फादर कामिल बल्
ु के के व्यक्क्तत्व की
ववशेषताओीं की सि तैयार करें ।
सािहिक गततववचध
समूह : 3
सिि : 3 को दी गई सािहिक गततववचध की प्रततकक्रया
कामिल बल्
ु के की
िाररत्रिक ववशेषताएाँ
िस्तिौला
सरलहृदय
दे श प्रेि
दे श प्रेि
सरलहृदय
सरलहृियी
ममत्वमयी
आस्तिक
फादर कामिल
बल्
ु के की िाररत्रिक
ववशेषताएाँ
कममठ
राष्ट्रप्रेमी
ममलनसार
euksfouksn
fiz;
When scaling, group all elements to be scaled. Scale as needed. Use the “Increase Font Size,”
“Decrease Font Size” buttons or manually change the font size for the editable text.
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 1
(क) तनम्नमलखखत शब्दों को वाक्यों िें प्रयोग करें (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) सींकल्प : िि तनत्य अच्छे कायद करने के मलए कृत सींकल्प िैं।
2) अकाट्य :
उत्तर : हिन्दी को राष्र भाषा बनाने के पक्ष िें बल्
ु के के तकद अकाट्य िोते थे।
3) साींत्वना :
उत्तर : दख
ु के क्षणों िें साींत्वना के दो शब्द भ राित दे ते िैं।
4) स्ितृ त :
उत्तर: बिपन की स्ितृ तयााँ िझ
ु े अक्सर रोिाींचित करत िैं।
5) अनुकरण य :
उत्तर: बुल्के का व्यक्क्तत्व अनुकरण य िै ।
(ख) 1 फादर बुल्के के पररवार का पररिय अपने शब्दों िें दें ।
2 भारत िें रि कर डा0 बुल्के को कौन स चिींता सतात थ ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 2
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त ववशेषण शब्दों को छाींि कर मलखें। (एक उदािरण हदया
गया िै ।)
।) नीली आँखें
2) भरी दाढ़ी
3) घन छाींि
4) अकाट्य तकद
5) खािोश दख
ु
6) अवाक िींि
ु
7) अपररचित आिि
(ख) 1 फादर बुल्के की िााँ ने बिपन िें िी उनके बारे िें क्या घोषणा की थ ?
2 फादर बल्
ु के के िन िें सन्यास बनने की इच्छा कब जाग ?
अततररक्त सािहिक गततववचधयाीं
सामूदहक गतिववधि : 3
(क) गद्य खींड/पाठ िें प्रयुक्त मिचित शब्द मलखें । (एक उदािरण हदया गया िै ।)
।) राष्रभाषा
2) ववश्वववद्यालय
3) ववभागाध्यक्ष
4) शोधप्रबींध
5) ििानत
(ख) 1 सन्यास लेने के बाद फादर बुल्के ने धिादिार की पढ़ाई किााँ से की?
2 पववि ज्योतत की याद िें लेखक क्यों ििानत िै ?
सािहिक गततववचध – िल्याींकन
प्रत्येक सिि के प्रतततनचध द्वारा ककए गए कायद की प्रस्ततु त
की जाएग तथा अध्यापक द्वारा उस कायद का िल्याींकन ककया
जाएगा
गि
ृ कायद
1 फादर बल्
ु के के ज वन से प्रभाववत िोकर
आप अपने ज वन िें क्या बदलाव लाना
िािें गे? लगभग सौ शब्दों िें मलखो।
सींघषदश ल
वपता ज
2 अपने ककस मशक्षक, मिि अथवा पररजन
पर सींक्षक्षप्त सींस्िरण मलखें।
3 लेखक ने फादर कामिल बल्
ु के को
‘िानव य करुणा की हदव्य ििक’ क्यों
किा िै ? ।
प्रस्ततु त
डा॰ हदनेश मसींि ठाकुर
हिन्दी प्राध्यापक , राजकीय वररष्ठ
दरभाष : 9418032736
िाध्यमिक ववद्यालय लालपान , मशिला (हि॰ प्र॰)
ि ज वन प्रकाश जोश
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418467628
ई-िेल : [email protected]
ि लाभ मसींि राणा
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय कन्या वररष्ठ
दरभाष : 9418156577
ि मशव कुिार सयद
िाध्यमिक ववद्यालय पौंिा साहिब, क्जला मसरिौर (हि॰ प्र॰)
िाध्यमिक ववद्यालय ---------, क्जला िण्ड (हि॰ प्र॰)
हिन्दी प्राध्यापक, राजकीय वररष्ठ िाध्यमिक ववद्यालय जगतसख
ु , क्जला कुल्ल
दरभाष : 8988314732
ई-िेल : [email protected]
(हि॰ प्र॰)
सौजन्य
राष्रीय िाध्यमिक मशक्षा अमभयान
हििािल प्रदे श