पाठ योजना विषय –हिन्दी उपविषय –संस्कृति सामान्य उद्देश्य कल्पना िक्ति का विकास, विचारों को क्रमिद्धिा दे ना िब्द-ज्ञान में िवृ द्ध करना विशिष्ट उद्देश्य संस्कृति अिधारणा की समझ.

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Transcript पाठ योजना विषय –हिन्दी उपविषय –संस्कृति सामान्य उद्देश्य कल्पना िक्ति का विकास, विचारों को क्रमिद्धिा दे ना िब्द-ज्ञान में िवृ द्ध करना विशिष्ट उद्देश्य संस्कृति अिधारणा की समझ.

पाठ योजना
विषय –हिन्दी
उपविषय –संस्कृति
सामान्य उद्देश्य
कल्पना िक्ति का विकास,
विचारों को क्रमिद्धिा दे ना
िब्द-ज्ञान में िवृ द्ध करना
विशिष्ट उद्देश्य
संस्कृति अिधारणा की समझ बनाना
संस्कृति और सभ्यिा के अन्िर को जानना
तनबन्ध लेखन कौिल का विकास करना
पि
म ान परीक्षण
ू ज्ञ
बच्चो ! आज कौन-सा हदिस िै ?
छात्र: आज 8 शसिम्बर का हदन िै ?
आप में से आज ककसी का जन्महदन िै ?
छात्र: िााँ मोिन का
अध्यापक: मोिन आज आप ने सुबि तया-तया ककया ?
मोिन : आज सुबि पंडिि जी घर पर आए थे और पंडिि जी िमेिा
सभी घर िालों केजन्म हदन पर घर आिे िैं और पूजा-पाठ करिे िैं । इष्ट दे ि की
आराधना िोिी िै ,शमठाई,िलिा,चने-पूरी बांटिे िैं और
मैंने भी आज यि सब
कुछ ककया ।
अध्यापक:बिुि अच्छा! इसे िम संस्कार कमम कििे िैं । संस्कार की विधध
संस्कृति किलािी िै ।
उप विषय उद्घोषणा :-आओ बच्चो आज िम “संस्कृति” विषय पर एक
आलोचनात्मक तनबंध पर चचाम करें गे,यि ,इसके रचतयिा भदं ि आनंद
कौिल्यायन िैं ।
उपविषय उद्घोषणा
आज िम “संस्कृति”
विषय
पर
एक
आलोचनात्मक
तनबंध
पर चचाम करें गे, यि
इसके
रचतयिा भदं ि
आनंद कौिल्यायन िैं ।
भदं ि आनंद कौिल्यायन
प्रस्ितु िकरण
सबसे पिले कवि के बारे में जानिे िैं । पंजाब के अंबाला
क्जले केसोिाना में सन 1905 ई॰ में जन्में भदं ि आनंद
कौिल्यायन, क्जनका मल
ू िः नाम िरनाम दास था , जो
लािौर नेिनल कॉलेज से बी॰ए॰ करने के बाद अनन्य
हिन्दी सेिी, बौद्ध शभक्षु एिं दे ि–विदे िाटन करिे िुए बौद्ध
धमम का प्रचार कर मिात्मा गांधी के सातनध्य में रििे िुए
1988 ई॰ में इनका दे िािसान िुआ । इन्िोंने शभक्षु के पत्र
, जो भल
ू न सका, आि ऐसी दररद्रिा , बिानेबाजी , यहद
बाबा न िोिे, रे ल का हटकट िथा किााँ तया दे खा
इत्याहदबीस से अधधक पस्
ु िकें शलखीं |
प्रस्ितु िकरण
इन्िोंने हिन्दी साहित्य सम्मेलन , प्रयाग और
राष्रभाषा सशमति िधाम के माध्यम से हिन्दी भाषाके
प्रचार प्रसार के शलए मित्िपण
ू म कायम ककया ।अब इनके
द्िारा विरधचि “संस्कृति” नामक पाठ के विषय में
जानिे िैं । सभी विद्याथी एक –एककरके पाठ का
आदिम िाचन समझिे िुए करें गे , श्रोिा विद्याथी
ध्यान से सुनिे िुए समझने काप्रयत्न करें गे । जहटल
िब्दों एिं अिधारनाओं को धचहनांककि करें गे । प्रत्येक
अनच्
ु छे द के आदिमिाचन उपरांि उनका स्पष्टीकरण
करिे िुए आगे बढ़ें गे । इस प्रकार पूरे संस्कृति पाठ
को बच्चे एक –एककरके सम्पन्न करें गे ।
समि
ू तनमामण/सामहू िक गतिविधधयााँ
प्रसाद समूि
पन्ि समूि
संस्कृति पाठ में उठाई गयी अिधारणाओं को
सच
ू ीबद्ध करें गे
पाठ में आये आविष्कारों, वििरणों एिं विशिष्ट
व्यक्तिओं का कायम सहिि उल्लेख करें गे |
तनराला समूि
कहठन िब्दों का अथम सहिि संग्रि कर िातय
प्रयोग करें गे |
मिादे िी समि
ू
सामाशसक पदों का संग्रि कर विग्रि करें और
समास का नाम भी शलखें |
सभी समूह के संभावित कार्य


प्रसाद समूि











क) संस्कृति एिं सभ्यिा की अिधारणा |
(ख) भौतिक सभ्यिा एिं आध्याक्त्मक सभ्यिा |
(ग) संस्कृति के पररणामस्िरूप योग्यिा , प्रितृ ि िथा प्रेरणा द्िारा ककया
गया आविष्कार |
(घ) व्यक्ति बवु द्ध एिं वििेक द्िारा नए िथ्य का दिमन |
(ङ) राि को िारों को दे ख कर न सोने िाला मनीषी आज के ज्ञान का
प्रथम पुरस्किाम |
(च) तया भौतिक प्रेरणा एिं ज्ञानेप्सा मानि संस्कृति के मािा –वपिा िैं ?
(छ) सभ्यिा िमारी संस्कृति का पररणाम िै |
(ज) खान–पान, पिनािा ,गमनागमन िथा परस्पर कट –मरने के िरीके
िमारी सभ्यिा िैं |
(झ) जो योग्यिा आत्म विनाि के साधनों का अविष्कार करािी िै ,िि
संस्कृति निीं असंस्कृति िै |
(ञ) क्षण-क्षण पररििमनिील संसार में संस्कृति भी पररििमनिील |
(ट)मानि संस्कृति अविभाज्य िस्िु िै ,इसका कल्याणकारी अंि
अकल्याणकारी से श्रेष्ठ िी निीं िक्ल्क स्थायी भी िोिा िै |
छात्र एिं अध्यापक उठाई गयी अिधारणाओं पैर चचाम करें गे ,िाकक परू ी
कक्षा इनसे अिगि िो जाये |
सभी समूह के संभावित कार्य

पन्ि समि
ू








1 आग का आविष्कार |
2 सई
ू –धागे का आविष्कार |
3 न्यूटन का गुरुत्िाकषमण का शसद्धांि |
4 रूस का भाग्यविधािा लेतनन स्ियं न खा कर भूखों को िखलािा |
5 कालममातसम ने मजदरू ों को सुखी दे खने में अपना जीिन दःु ख में
बबिा हदया |
6 मिामानि मिात्माबुद्ध ने िष्ृ णा के ििीभूि रिने िाली मानििा को
सुखी करने के शलए गि
ृ त्याग ककया |
7 रोगी बच्चे को मािा सारी राि गोद में शलए रििी िै , िि ऐसा
तयों करिी िै ?
8 अपने मुिं का ग्रास दस
ू रे के मुिं का तनिाला बनाने की उसे कैसे
सझ
ू ी ?
छात्र एिं अध्यापक इन सभी पैर एक- एक करके चचाम करें गे , इन
कायों के साथ संस्कृति ककस प्रकार जुड़ी िै , को स्पष्ट करें गे |
तनराला समूि
सभी समूह के संभावित कार्य
भौतिक –पदाथम से सम्बंधधि
साक्षाि ् –प्रत्यक्ष
आध्याक्त्मक –आत्मा से सम्बंधधि
िीिोषण ---ठं िा –गमम
पुरस्किाम ---आगे करने िाला
आविष्किाम –खोज करने िाला
अिश्यंभािी ----अिश्य घटने िाला
भाग्यविधािा ----भाग्य बनाने
संस्कृि ----संस्कारिान ,संस्काररि
मनीषी -----धचन्िक , विद्िान
ज्ञानेप्सा ---ज्ञान की इच्छा
प्रज्ञा -------बवु द्ध
तनठल्ला ---बेकार , िाला
कौर -------ग्रास
प्रितृ ि ------स्िभाि
पररष्कृि ----िद्ध
ु
िातयों का प्रयोग मौिखक रूप से एक –एक करके बच्चों से करिाया जायेगा
सभी समह
ू के संभावित कार्य
मिामानि
मिान िै जो मानि (मिात्मा बद्ध
ु )
सप्िवषम
साि ऋवषयों का समूि
मिादे िी
समूि
हिन्द ू मुक्स्लम
आत्म विनाि
पद दशलि
हिन्द ू और मुक्स्लम
बिुब्रीहि
द्िन्द्ि
आत्मा का विनाि
ित्पुरुष
यथोधचि
पााँि से कुचला िुआ
जैसा उधचि िो
िीिोषण
िीिल एिं उषण
सुलोचना
असंस्कृति
अकल्याणकर
अनायास
सुंदर आाँखों िाली
न संस्कृति
न कल्याणकर
न आयास
द्िीगु
ित्परु
ु ष
अव्ययीभाि
अव्ययीभाि
द्िंद्ि
नञ
नञ
नञ
छात्र एिं अध्यापक एक िार पन
ु ः इनकी पन
ु राितृ ि करें गे | अन्य उदािरण दे कर यथासंभि प्रयास
कर समास की अिधारणा को स्पष्ट ककया जायेगा | इसके बाद यहद कालांि आज्ञा दे िो बच्चों को
5-10 शमनट समझ के साथ मौनिाचन की अनम
ु ति दे कर मल्
ू याङ्कन की ओर अग्रसर िोंगे |
मल्
ू यांकन
मूलर्ांकन
1 संस्कृति नामक पाठ ककस लेखक ने शलखा ?
2 भदं ि आनंद कौिल्यायन ने ककस धमम का प्रचार ककया ?
3 संस्कृति और सभ्यिा में तया अंिर िै ?
4 आग के आविष्कार की प्रेरणा किां से शमली ?
5 आज के ज्ञान का प्रथम पुरस्किाम कौन िै ?
6 मानि संस्कृति के जनक कौन िैं ?
7 शसद्धाथम ने गि
ृ त्याग तयों ककया ?
8 सभ्यिा ककस का पररणाम िै ?
9 क्षण –क्षण पररििमन िोने िाले संसार में ककसी भी चीज
को पकड़ कर निीं बैठा जा सकिा|, से तया अशभप्राय िै ?
10 मानि संस्कृति में क्जिना अंि कल्याण का िै ,
िि अकल्याणकारी से श्रेष्ठ िी निीं िक्ल्क स्थाई भी िै ,
से आप तया समझिे िैं ?
पाठ में आये ित्सम िब्दों की सूची बना कर अथम स्पष्ट करें |
(अनुप्रयोगात्मक)
(ज्ञानात्मक )
(ज्ञानात्मक )
(बोधात्मक)
(बोधात्मक)
(बोधात्मक)
(बोधात्मक)
(बोधात्मक)
(ज्ञानात्मक)
(विश्लेष्णात्मक )
(विश्लेष्णात्मक)
गि
ृ कायम :- घर में खान –पान के िौर िरीकों को लेकर तनबंधात्मक
लेख शलखें ? (सज
ृ नात्मक)
प्रस्तुतत
िा. मिे न्द्र गोपाल, प्राध्यापक हिन्दी, िाइट उना, क्जला उना (हि. प्र.)
िा. रविन्द्र शसह् चम्बयाल ् , प्राध्यापक हिन्दी, रा. ि. मा. वि. जोल सपि, क्जला
िमीरपरु (हि. प्र)
िा. रिन राणा, प्राध्यापक हिन्दी, रा. ि. मा. वि. बलबुिक, क्जला िमीरपुर (हि. प्र)
िा. चााँद ककिोर , प्राध्यापक संस्कृि , रा. ि. मा. वि. बजौरा , क्जला कुल्लू
(हि. प्र)
सौजन्र्
राक्ष्रय माध्यशमक शिक्षा अशभयान
हिमाचल प्रदे ि