आत्मा - Jain Sanskar Shivir

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Transcript आत्मा - Jain Sanskar Shivir

जैन संस्कार शिविर
25 बोल
गति 4
जाति 5
काया 6
इंद्रिय 5
प्रयाप्ति 6
प्राण 10
िरीर 5
योग 15
उपयोग 12
कर्म 8
गुण्सस्थाण 14
5 इंद्रियो के 23
शर्थ्यािि के
छोटी निित्ि
षटिव्य के 30
रािी 2
विषय + 240
10 भेद
विकार
आत्र्ा 8
दण्सडक 24
लेश्या 6
श्रािक के 12
व्रि
िप्टट 3
साधु जी के 5
र्हाव्रि
ध्यान 4
प्रत्याख्यान के
49 भांगे
भेद
चाररत्र 5
के 115 भेद
आत्र्ा (जीि) के भेद
आत्र्ा
संसारी जीि
शसद्ध जीि
(िरीरी)
(अिरीरी)
4 गति
नारकी
तियंच
र्नुटय
दे ि
जाति 5
एकेनद्रिय
(1)
पंचइ
े नद्रिय
बेइनद्रिय
आत्र्ा
(5)
(2)
(जीि)
चउररइनद्रिय
(4)
िेइनद्रिय
(3)
काय 6
आत्र्ा
स्थािर
त्रस
िेउकाय
अपकाय
वप्रथ्िीकाय
िायक
ु ाय
स्थािर
जीि
िनस्पतिकाय
इप्रिय 5
स्पर्शेन्द्रिय
श्रोत्रें द्रिय
चक्षुररन्द्रिय
रसनेन्द्रिय
घ्राणेन्द्रिय
प्रयाप्ति 6
आहार
प्रयाप्ति
र्न प्रयाप्ति
िरीर प्रयाप्ति
भाषा प्रयाप्ति
इप्रिय
प्रयाप्ति
श्िासोच्छ्िास
प्रयाप्ति
प्राण 10
आयुष्य बल प्राण,
श्वासोच्छ्वास बल
प्राण, काय बल प्राण,
स्पर्शेन्द्रिय बल प्राण
रसनेन्द्रिय बल प्राण,
घ्राणेन्द्रिय बल प्राण,
चक्षुररन्द्रिय बल प्राण,
श्रोत्रें द्रिय बल प्राण
वचन बल प्राण,
मन बल प्राण
िरीर 5
औदाररक
र्शरीर
कार्मण िरीर,
िेजस िरीर
वैक्रिय र्शरीर
आहारक िरीर
योग 15
4 र्न के
4 िचन के
सत्य र्नोयोग
सत्य िचन योग
असत्य र्नोयोग
असत्य िचन योग
शर्श्र र्नोयोग
शर्श्र िचन योग
व्यिहार र्नोयोग
व्यिहार िचन योग
7 काया के
औदाररक काय योग
औदाररक शर्श्र काय योग
िैक्रिय काय योग
िैक्रिय शर्श्र काय योग
आहारक काय योग
आहारक शर्श्र काय योग
कार्मण काय योग
उपयोग 12
5 ज्ञान
र्ति ज्ञान
श्रि
ु ज्ञान
अिधध ज्ञान
र्न:पयमि ज्ञान
केिल ज्ञान
3 अज्ञान
र्ति अज्ञान
श्रुि अज्ञान
अिधध अज्ञान
(विभंग ज्ञान)
4 दिमन
चक्षु दिमन
अचक्षु दिमन
अिधध दिमन
केिल दिमन
कर्म 8
अघािी 4
घािी 4
सािा िेदनीय
ज्ञानािरणीय
िेदनीय
दिमनािरणीय
नार्
दिमन र्ोहनीय
र्ोहनीय
अंिराय
चाररत्र र्ोहनीय
गोत्र
आयुटय
असािा िेदनीय
िभ
ु नार्
अिभ
ु नार्
उच्छच गोत्र
नीच गोत्र
1.दे ि 2.र्नटु य
3.त्रत्रयंच 4.नरक
गण
ु स्थान 14 (1-4)
शर्थ्यात्ि
सास्िादन
शर्श्र
अविरति
सम्यक दृप्टट
िर्ि:
गण
ु स्थान 14 (5,6,7)
दे ि विरति
श्रािक
प्रर्ादी साधु
अप्रर्ादी साधु
िर्ि:
गण
ु स्थान 14 (8-12)
उपिांि
क्षीण र्ोहनीय 12
र्ोह्नीय
सक्श
ू श्र् सम्पराय 10
11
सक्श
ू श्र्
सम्पराय
10
अतनव्रति
बादर 9
अतनव्रति
बादर 9
तनव्रति
बादर 8
िर्ि:
गण
ु स्थान 14 (13-14)
आत्मा
4 अघािी कर्म
4 अघािी कर्म + 4 घािी कर्म = 0
सयोगी केिली
अयोगी केिली
5 इंद्रियो के 23 विषय + 240 विकार
श्रोत्रेप्रिय के 3 विषय (+ 12 विकार)
अजीि
िब्द
जीि िब्द
शर्श्र िब्द
श्रोत्रेप्रिय
5 इंद्रियो के 23 विषय + 240 विकार
चक्षुररप्रिय के 5 विषय (+ 60 विकार)
लाल
नीला
काला
पीला
चक्षुररन्द्रिय
सफेद
5 इंद्रियो के 23 विषय + 240 विकार
घ्राणेप्रिय के 2 विषय (+ 12 विकार)
दग
म ध
ु र
सग
ु रध
घ्राणेप्रिय
5 इंद्रियो के 23 विषय + 240 विकार
रसनेप्रिय के 5 विषय (+ 60 विकार)
कषैला
कड़िा
िीखा
खट्टा
रसनेप्रिय
र्ीठा
5 इंद्रियो के 23 विषय + 240 विकार
स्पिेप्रिय के 8 विषय (+ 96 विकार)
कोर्ल
ककमि
धचकना
रुखा
(खरु दरा)
स्पिेप्रिय
गर्म
हल्का
भारी
ठं डा
शर्थ्यात्ि के 10 भेद
• जीि को अजीि सर्झना
• अजीि को जीि सर्झना
• धर्म को अधर्म सर्झना
• अधर्म को धर्म सर्झना
• साधु को असाधु सर्झना
• असाधु को साधु सर्झना
• र्ोक्ष र्ागम को संसार र्ागम सर्झना
• संसार र्ागम को र्ोक्ष र्ागम सर्झना
• कर्ो से र्क्श
ु ि को अर्क्श
ु ि सर्झना
• कर्ो से अर्क्श
ु ि को र्क्श
ु ि सर्झना
छोटी निित्ि के 115 भेद
(निित्ि के संक्षक्षति भेद)
जीव के 14 (सक्ष्
ु म, बादर, पयााप्त, अपयााप्त आद्रद)
अजीव के 14 (धमाान्द्स्तकाय, अधमाान्द्स्तकाय, आकान्द्श्स्तकाय, काल, पुद्ग्लान्द्स्तकाय दत्याद्रद)
पुण्य के 9 (अरन, पान, लयण, र्शयन, वस्त्र, मन, वचन, काया, नमस्कार)
पाप के 18 (द्र स
िं ा, झठ
ू , चोरी, कामभोग, पररग्र , िोध, मान दत्याद्रद)
आस्रव के 20 (ममथ्यात्व, अववरतत, प्रमाद, कषाय, योग दत्याद्रद)
सिंवर के 20 (सम्यक्तव, ववरतत, अप्रमाद, अकषाय, अयोग दत्याद्रद)
तनजारा के 12 (6 बाह्य तप, 6 आभ्यिंतर तप)
बिंध के 4 (प्रकृतत, न्द्स्ितत, अनुभाग, प्रदे र्श)
मोक्ष के 4 ( सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शान, सम्यक चाररत्र, सम्यक तप)
आत्र्ा के 8 भेद
िव्य
िीयम
किाय
आत्र्ा
चररत्र
दिमन
योग
उपयोग
ज्ञान
दण्सडक 24
1 साि
1 िैर्ातनक
नारकी
10
दे ि
1 ज्योतिष
दे ि
भिनपति
5 स्थािर
24
दण्सडक
1 व्यंिर
3
दे ि
विक्शलेंद्रिय
1 र्नटु य
1 त्रत्रयंच
पंचेंद्रिय
लेश्या 6
कृटण
िुक्शल
नील
6
लेश्या
पद्म
कपोि
िेजो
दृप्श्ट 3
शर्थ्या
सम्यक
शर्श्र
दृप्श्ट
ध्यान 4
आिम
िक्श
ु ल
ध्यान
4
धर्म
रौि
षट्द्िव्य के 30 भेद
िव्य, क्षेत्र, काल, भाि, गुण
धमाान्द्स्तकाय
(5)
पद्ग
ु ्लान्द्स्तकाय
अधमाान्द्स्तकाय
(5)
(5)
6 िव्य
जीिाप्स्िकाय
आकान्द्श्स्तकाय
(5)
(5)
काल (5)
राशि 2
राशि
जीि राशि के 563 भेद
अजीि राशि के 560 भेद
नारकी 14
अरुपी अजीि
त्रत्रयंच 48
रुपी अजीि
र्नुटय 303
दे ि 198
30
530
श्रािक के 12 व्रि
र्ख्
ु यव्रि (5)
गण
ु व्रि (3)
शिक्षा व्रि (4)
• अद्रहंसा अणुव्रि
• द्रदिा पररर्ाण
• सार्ातयक
• सत्य अणुव्रि
• उपभोग पररर्ाण
• दे िािगाशसक
• अचौयम अणुव्रि
• अनथमदंड विरर्ण
• पौषध
• ब्रह्म्चयम अणुव्रि
• अपररग्रह अणुव्रि
• अतिधथ संविभाग
साध/ु साध्िी के 5 र्हाव्रि
अद्रहंसा
र्हाव्रि
अपररग्रह
र्हाव्रि
ब्रह्म्चयम
र्हाव्रि
सत्य र्हाव्रि
अचौयम
र्हाव्रि
प्रत्याख्यान के 49 भांगे
करना, कराना, सर्थमन = करण
र्न, िचन, काया= योग
करना
कराना
सर्थमन
र्न से
िचन से
काया
से
11, 12, 13, 21, 22, 23, 31, 32, 33
चाररत्र 5
गण
ु स्थान (10)
गुणस्थान (6-9)
छे दोपस्था
पनीय
चाररत्र
सार्ातयक
चाररत्र
गण
ु स्थान (6-9)
िक्ष्
ु र्
संपराय
चाररत्र
पररहार
वििवु द्ध
चाररत्र
यथाख्याि
चाररत्र
गण
ु स्थान (11-13)
धरयिाद
ध्यान 4
गति 4
जाति 5
िप्टट 3
काया 6
लेश्या 6
इंद्रिय 5
आत्र्ा
गण्स
ु स्थाण
14
प्रयाप्ति
6
कर्म 8
प्राण 10
उपयोग
12
योग 15
िरीर 5
ित्ि के 9 भेद
जीि
ज्ञेय
अजीि
पुण्सय
पाप
ित्ि
हे य
आस्रि
बंध
संिर
उपादे य
तनजमरा
र्ोक्ष