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❍ 02 / 07 / 16 क मरल
ु से चाट ❍
⇚
⇛ TOTAL MARKS:- 100 ⇚
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:✺ शवभगवानवाच
ु
➳ _ ➳ रोज रात को सोने से पहले बापदादा को पोतामेल सची दल का दे दया
तो धरमराजपर
ु म जाने क! आव#यकता नहं पड़ेगी।
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∫∫ 1 ∫∫ होमवक' (Marks: 3*5=15)
➢➢ बाप को √बड़े 4यार से याद√ 5कया ?
5कया ?
➢➢ श7
ु से √8ा9मण सो दे वता√ बनने का प;षाथ'
ु
➢➢ राहू का >हण उतारने के लए √BवकारC का दान√ दया ?
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∫∫ 2 ∫∫ Bवशेष अEयास (Marks:2*10=20)
√ शHद को यथाथ' रIत से यज़
➢➢ √प;षाथ'
ु
ू कर सदा आगे बढते रहे ?
➢➢ √माLटर सव'शिOतवान√ क! LमIत
ृ म रहे ?
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∫∫ 3 ∫∫ Bवशेष प;षाथ'
(Marks: 15)
ु
( इस रBववार क! अRयOत मरल
से... )
ु
➢➢ √अकाल तTतधार और दलतTतधार√ बनकर रहे ?
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➢➢ √अकाल तTतधार और दलतTतधार√ बनकर रहे ?
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20Purusharth/02.07.16-VisheshPurusharth.htm
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20Purusharth/02.07.16-VisheshPurusharth.pdf
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∫∫ 4 ∫∫ बाबा से uहvरहान (Marks:-10)
( आज क! मरल
के सार पर आधाvरत... )
ु
➢➢ "मीठे बचे - तम
ु Bवकारो का दान दे दो तो राहु का >हण छट
ू जायेगा, दे
दान तो छटे
ू >हण"
4यारा बाबा कहे - मेरे मीठे बचे इस सिzट
रं गमंच पर गणो
और
ृ
ु
शिOतयो से भरपरू होकर ह पाट' बजाने आये थे... पर दे हभान म सब भल
ू चले
खो चले.... और Bवकारो के राहु ;पी >हण म फस कर काले हो चले हो... अब
इनका }याग करो तो वह संुदरता से भर चलोगे ...
❉
➳ _ ➳ आ}मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... मै आ}मा आपक! सतान
5कतनी संुदर और 4यार थी... आपके बताने से मझे
ु सार LIत आ गयी है ...
इन Bवकारो ने मेरे uप को काला 5कया है ...और अब इनका }याग कर मै Iनखर
रह हँू ...
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4यारा बाबा कहे - मीठे 4यारे बचे अपने सदरतम
uप को यादो म
ु
समाओ... और सचे सखो
को LIत म लाओ... इन दे ह के Bवकारो को
ु
अपनाकर संुदरता को खो चले हो... उसको छोड़ कर अपने सचे सदय' को 5फर
से पाओ... उस सचे लाव
य से भर जाओ...
❉
➳ _ ➳ आ}मा कहे - मेरे ाणBय बाबा... Bवकारो भरे जीवन से मिOत
ु
पाकर म आ}मा सचे लाव
य को पा रह हँू ... आपक! यादो से संुदर होती जा
रह हँू ... आपक! यादो से Bवकारो का मटमैला पन धलता
जा रहा है ... और म
ु
>हण से मOत
होती जा रह हँू ...
ु
मेरा बाबा कहे - 4यारे बचे अब यह Bवकारो भरा बदबदार
जीवन
ू
}यागो... वह खबसरत
मनमोहक खले हए
बनो... ई#वरय सतान हो
ू ू
ु ू
ु खशबदार
उस नशे म आओ... इस गंद म न खेलो... उजले और महकते हए
ु
ु सदा खशयो
म मLकराओ
...
ु
❉
➳ _ ➳ आ}मा कहे - हाँ मेरे मीठे बाबा... Bवकार जीवन से मझ
ु आ}मा ने
अथाह दखो
को भोगा... मै उजल सी धवल शिOतशाल आ}मा Iनराश और
ु
मायस
मेरे जीवन को
ू हो चल... अब 4यारे बाबा ीमत के हाथ साथ ने पनः
ु
IनBवकार बना दमका दया है ...
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∫∫ 5 ∫∫ योग अEयास (Marks:-10)
( आज क! मरल
क! धारणा और Lलोगन पर आधाvरत... )
ु
❉
"ल - फलC
के बगीचे म ले जाने वाले बाप को याद करना
ू
➳ _ ➳ म आ}मा अभी तक कांटC के जंगल म थी... रावण राय म थी...
इस प;षोम
संगमयग
ु
ु पर परमBपता परमा}मा से ;हानी ान ले रह हंू ...
Lवयं मेरे मीठे 4यारे बाबा मझे
रहे ह ... मझ
ु इस कांटC के जंगल से छडा
ु
ु आ}मा
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Lवयं मेरे मीठे 4यारे बाबा मझे
रहे ह ... मझ
ु इस कांटC के जंगल से छडा
ु
ु आ}मा
को फलC
के बगीचे म ले जा रहे ह ... म आ}मा एक बाप को याद कर अपने
ू
BवकारC को भLम करती जा रह हंू ... पIतत से पावन बनती जा रह हंू ...
खशबदार
फल
से पारसबिध
बनती
ु ू
ू बनती जा रह हंू ... म आ}मा प}थरबिध
ु
ु
जा रह हंू ... अपने मीठे 4यारे पारसनाथ बाबा को बड़े 4यार से याद कर रह
हंू ...
❉
"ल - श7
करना"
ू से 8ा9मण सो दे वता क! िLथIत का अनभव
ु
➳ _ ➳ घोर कलयग
ु है ... सब पIतत बन पड़े ह ... इस कयाणकार
संगमयग
ु पर Lवयं परमBपता परमा}मा ह आकर हम आ}माओं को श7
ू से
बदल 8ा9मण धम' क! Lथापना कर रहे ह ... Lवयं भगवान पढ़ाते ह तो अपने
जैसा भगवान भगवती बना रहे ह ... म आ}मा एक बाप क! याद म रहकर
;हानी पढ़ाई को पढ़ 8ा9मण सो दे वता बनने का प;षाथ'
कर रह हंू ... म
ु
आ}मा काम चता पर बैठ काल हो गई हंू ... और BवकारC म आकर नीचे गरती
आई हंू ... कलाय कम होने से >हण लग गया है ... बाबा आये है काले से गोरा
बनाने... म आ}मा BवकारC का दान दे कर राहू के >हण से छटती
जा रह हंू ...
ू
❉
"ल - माLटर सव'शिOतवान ् क! िLथIत का अनभव
करना"
ु
➳ _ ➳ म आ}मा सव'शिOतवान ् क! संतान माLटर सव'शिOतवान ् हंू ...
सव'शिOतवान ् मेरे परमBपता है ... मेरे सचे साथी ह ... म आ}मा अपने
परमBपता परमा}मा क! हजार भजाओं
क! छछाया म हंू ... सदा अपने को सेफ
ु
अनभव
कर रह हंू ... म परमBपता के साथ सदा कबाइं ड हंू ... म आ}मा
ु
आलमाइट अथॉvरट क! संतान हंू ... मेरे मीठे 4यारे बाबा क! सव'शिOतयC क!
अधकार हंू ... मालक हंू ... बाप क! शिOतयां सो मेर शिOतयां... बाप के वस
क! पर
ू अधकार हंू ...
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∫∫ 6 ∫∫ योग अEयास (Marks-10)
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∫∫ 6 ∫∫ योग अEयास (Marks-10)
( आज क! मरल
के वरदान पर आधाvरत... )
ु
✺
"ल :- "म ेzठ परषाथ
आ}मा हँू ।"
ु
➳ _ ➳ योगयOत
िLतथ म बैठ जाएँ और Bवचार द... म आ}मा बंद ु
ु
Lवuप हँू ... अब Iनराकार बंद ु परमा}मा पर अपना यान क7त कर...
शवबाबा से सव'थम पBवता क! #वे त 5करण Iनकालकर मझ
ु आ}मा पर आ
रहं ह ... साथ-साथ अय रं गC क! सख
ु , शांIत, ेम और शिOत से सपन
5करण भी मOस होकर मझ
ु आ}मा पर पड़ रहं ह ...
➳ _ ➳ खड़े हो जाएँ इन बौचारC के नीचे और भगो ल Lवयं को, अपने
अंग-अंग को इन
शिOतशाल 5करणC से... इन शिOतयC के शॉवर म भीगकर
मेरा दे ह का भान BवLमत
ृ होता जा रहा है ... म Lवयं को ताज़गी के साथ-साथ
शिOतयC से भरपरू महसस
ू कर रहं हँू ... म आ}मा अब Iनरतर Lवयं को प;ष
ु
अथा'त आ}मा समझकर चल रहं हँू ...
➳ _ ➳ म आ}मा कभी भी हार न मानने वाल यथा'त परषाथ
आ}मा हँू ...
ु
म आ}मा सदै व मिज़ल को सामने रखते हए
आ}मा हँू ...
ु
ु चलने वाल परषाथ
म कभी भी न ;कने वाल परषाथ
आ}मा हँू ... म सदा हमत वा उलास म
ु
रहने वाल यथात' परषाथ
आ}मा हँू ...
ु
➳ _ ➳ म परषाथ'
को अपनी शिOत बनाकर चलने वाल आ}मा हँू ... म
ु
आ}मा परषाथ
शHद को हार खाने वा असफलता ा4त होने का कारण न
ु
समझने वाल यथात' परषाथ
आ}मा हँू ... म आ}मा गलती होने पर परषाथ
ु
ु
शHद क! ढाल न लेने वाल ेzठ परषाथ
आ}मा हँू ।
ु
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∫∫ 7 ∫∫ ान मंथन (Marks:-10)
( आज क! मरल
के वरदान पर आधाvरत... )
ु
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ु
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शHद को यथाथ' रIत यज
होते
➢➢ प;षाथ'
ु
ू कर आगे बढ़ने वाले ेzठ प;षाथ
ु
ह .... OयC और कैसे ?
अभी तक तो घोर कलयग
ु म थे व दे हभान म होने से पIतत होते गए
। Lवयं परमBपता परमा}मा ने इस संगमयग
ु पर हम अपना बनाकर हम अपने
असल पहचान द व परमBपता परमा}मा बाप का पvरचय दया । जो अपनी
आि}मक िLथIत म रहकर अपने परमBपता परमा}मा को यथाथ' रIत जान याद
करते है यह मेहनत है व प;षाथ'
है । याद म रह कमाई जमा करते आगे
ु
बढ़ते ह े zठ प;षाथ
होते है ।
ु
❉
प;षाथ'
शHद का यथाथ' अथ' ह 5क Lवयं को आ}मा समझ कर चलना
ु
। ऐसे आि}मक िLथIत म रहने वाले प;षाथ
सदै व मंिजल को सामने रखते हए
ु
ु
चलते ह , वे कभी ;कते नहं, हमत उलास नह छोड़ते वो े zठ प;षाथ
होते
ु
है ।
❉
अपने को ऊंचा उठाने को ह प;षाथ'
कहा जाता है । प;षाथ'
इस
ु
ु
संगमयग
ु पर ह 5कया जाता है और इसक! ालHध अभी मलती है । परमBपता
परमा}मा बाप ह आकर सिzट
के आद मय अंत का ान दे ते है उसे अछ¢
ृ
रIत धारण उसका ेिOटकल Lव;प बनते है े zठ प;षाथ
होते ह ।
ु
❉
जो संगमयग
ु पर Lव को पहचान जाते है 5क म तो आ}मा हंू व मझ
ु
आ}मा के Bपता परमा}मा है । मझ
ु आ}मा के Bपता क! शिOतयां सो मेर
शिOतयां । परमा}मा से मल शिOतयC को पहचान समयानसार
यज
ु
ू कर आगे
बढ़ते है व अपने खजानC को अपने प;षाथ'
से बढ़ाते रहते है । हर कदम ीमत
ु
माण चलते है । मनसा वाचा कम'णा पBवता धारण कर कम'योग करते आगे
बढ़ते ह वो ेzठ प;षाथ
होते है ।
ु
❉
जो अपनी दRय बिध
से बस अपने को चमकता सतारा दे खते है व
ु
यह LमIत
ृ रखते ह 5क म लाइट हंू , माइट हंू व वैसी ह अपनी िLथIत रखते
❉
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यह LमIत
ृ रखते ह 5क म लाइट हंू , माइट हंू व वैसी ह अपनी िLथIत रखते
हए
ु एक परमा}मा क! याद म रहते ह व सव' सबंध बस एक बाप से रखते है
। अपनी िLथIत ऊंची रखते हए
कर आगे बढ़ते ह े zठ प;षाथ
होते ह
ु
ु
ु प;षाथ'
।
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∫∫ 8 ∫∫ ान मंथन (Marks:-10)
( आज क! मरल
के Lलोगन पर आधाvरत... )
ु
➢➢ माLटर सव'शिOतवान क! LमIत
ृ म रहो, यह LमIत
ृ ह मालकपन क!
LमIत
ृ दलाती है ... OयC और कैसे ?
अगर सदा बिध
का सबध एक बाप से ह लगा हआ
हो तो सबध
ु
ु
से सव'शिOतयC का वसा' अव#य ा4त होता है ले5कन तब जब अधकार समझ
कर हर कम' करते रह । Lवयं को अधकार समझगे तो कहने वा संकप म भी
मांगने क! इछा नह होगी । जब अधीन होते ह तब अधकार का अनभव
नह
ु
कर पाते । इसलए िजतना पराने
संLकारC पर, माया पर Bवजय पाने के
ु
अधकार बनगे उतना मालकपन क! LमIत
ृ सदै व रहे गी और सव'शिOतयC क!
ाि4त का अनभव
होता रहे गा ।
ु
❉
LमIत
ृ के साथ जब समथ Lवuप बन कर रहगे तो सव' शिOतयां इमज'
uप म रहगी और सव'शिOत सपन बन समय व पvरिLथIत अनसार
िजस
ु
शिOत का योग करना चाहगे कर सकगे । LमIत
ृ और समथ का गहरा
सबध है । जैसे कोई कहे LमIत
ृ तो है 5क बाबा का बचा हँू ले5कन समथ
नह है तो यह हो नह सकता । Oयो5क LमIत
ृ ह है 5क " म माLटर
सव'शिOतवान हँू " तो LमIत
ृ के साथ समथ' बनना अथा'त सदै व मालकपन क!
LमIत
योग म लाना ।
ृ म रह सव' शिOतयC को अपनी इछानसार
ु
❉
माLटर सव'शिOतवान क! सीट पर सेट हो कर मलकपन क! LमIत
ृ म
तभी रह सकगे जब एक तो LमIत
कम' को
ृ को यथाथ' बनाने का और दसरा
ू
❉
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तभी रह सकगे जब एक तो LमIत
कम' को
ृ को यथाथ' बनाने का और दसरा
ू
े zठ बनाने का प;षाथ'
करगे । LमIत
का
ु
ृ पावरफल
ु तब बनेगी जब मन बिध
ु
कनेOशन Iनरतर सव'शिOतवान बाप के साथ होगा और कम' े zठ तब हCगे
ं कर सदा अपनी करे Oशन करगे । कनेOशन लज़
जब Lव चे5कग
ू होने के कारण
और करे Oशन ना होने के कारण ह मालकपन क! सीट से नीचे उतर आते ह
और Lवयं क! शिOतहन अनभव
करते ह ।
ु
जैसे बादशाह अथवा जो राजा लोग होते ह उनमे ऑटोमेटकल शिOत
रहती ह राय को चलाने क! Oयो5क वो सदै व अपने राजापन क! सीट पर सेट
रहते ह अगर कहं उलटे काय' म फंस जाते ह तो राजाई क! शिOत खो दे ते ह ।
इसी तरह हम भी इस समय बेगमपरु के बादशाह और सव'शिOतयC के मालक
ह ले5कन अगर कोई कमि7य के वशीभत
ू हो कर अपनी शिOत खो दे ते ह और
माLटर सव'शिOतवान क! सीट से नीचे आ जाते ह तो Lवयं को मालक समझने
क! बजाए माया का दास बन जाते ह ।
❉
Lवयं को सदा कबाइं ड Lवuप क! LमIत
ृ म सेट रखने से सव'शिOतवान
बाप का साथ और ीमत का हाथ सदा छछाया के uप म अनभव
होगा जो
ु
शिOतशाल िLथIत का अनभव
करवाता रहे गा और शिOतशाल आ}मा सदा
ु
¤ढ़ता क! चाबी क! अधकार होने के कारण Lवयं को सफलता के खजाने क!
मालक तथा सव' ाि4तयC से सपन अनभव
करे गी । सफलता मेरा जम
ु
सध अधकार है इस अटल Iन#चय म रह मालकपन क! सीट पर सेट हो कर
वह सव'शिOतयC को अपनी इछानसार
जब चाहे यज़
ु
ू कर सकेगी ।
❉
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है क! रा म सोने से
⊙_⊙ आप सभी बाबा के 4यारे 4यारे बचC से अनरोध
ु
पहले बाबा को आज क! मरल
से मले चाट' के हर पॉइं ट के माOस' ज़uर द ।
ु
♔ ॐ शांित ♔
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